हिन्दुस्तान मिरर न्यूज: 13 जुलाई 2025
लखनऊ, जुलाई 13: उत्तर प्रदेश में अनुदानित मदरसों में लॉकडाउन के दौरान की गई 308 नियुक्तियों को लेकर बड़ा सवाल उठ गया है। अब इन नियुक्तियों की जांच के आदेश जारी कर दिए गए हैं। अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक जी.पी. माली ने इस संबंध में प्रदेश के 20 जिलों के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों (DMO) से एक सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
बताया गया है कि ये भर्तियां वर्ष 2020 में कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान की गई थीं, जब सामान्य प्रशासनिक व शिक्षण गतिविधियां ठप थीं और कोई नई नियुक्ति की अनुमति भी नहीं दी गई थी। ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में की गई नियुक्तियां संदेह के घेरे में आ गई हैं।
सूत्रों के मुताबिक, कई मदरसों में बिना वैध प्रक्रिया के शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्तियां की गईं, जिनमें से कुछ को राज्य सरकार से वेतन भी मिलने लगा। इस पूरे मामले में यह भी संदेह जताया जा रहा है कि कुछ नियुक्तियां बिना स्वीकृति पत्र और निर्धारित मानकों के हुई हैं।
इस मुद्दे पर सरकार सख्त रुख अपनाती दिख रही है। अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय ने स्पष्ट किया है कि अगर किसी मदरसे में अनियमितता पाई गई तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसमें वेतन भुगतान रोकने से लेकर एफआईआर दर्ज करने तक के निर्देश दिए जा सकते हैं।
प्रदेश के जिन 20 जिलों से रिपोर्ट मांगी गई है, उनमें लखनऊ, कानपुर, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली, आजमगढ़, वाराणसी, गोरखपुर जैसे प्रमुख जिले शामिल हैं। डीएमओ को निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने जिलों में लॉकडाउन काल में हुई भर्तियों की विस्तृत जांच कराएं और यह स्पष्ट करें कि इन भर्तियों में चयन प्रक्रिया, योग्यता, अनुमोदन और अन्य कानूनी पहलुओं का पालन हुआ या नहीं।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में करीब 16,000 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं, जिनमें से लगभग 560 को राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त होता है। ऐसे मदरसों में होने वाली भर्तियों पर सरकारी नियम और प्रक्रिया लागू होती है।
यह कार्रवाई राज्य सरकार की पारदर्शी प्रशासन नीति और शिक्षा व्यवस्था में शुचिता बनाए रखने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। आगामी दिनों में रिपोर्ट के आधार पर दोषी अधिकारियों या संस्थाओं पर कड़ी कार्रवाई तय मानी जा रही है।