हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑ 20 मई : 2025
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के लघु और सीमांत किसानों के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की है। ‘मुख्यमंत्री कृषक समृद्धि योजना’ नामक इस नई योजना का उद्देश्य किसानों को आसान और सस्ती दर पर ऋण उपलब्ध कराकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। मुख्यमंत्री ने सोमवार को सहकारिता विभाग की समीक्षा बैठक में इस योजना के क्रियान्वयन के निर्देश दिए और कहा कि यह योजना किसानों के लिए नई उम्मीद लेकर आएगी।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह योजना किसानों को कर्ज के जाल से निकालने में मदद करेगी और उन्हें खेती के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि योजना की विस्तृत कार्ययोजना शीघ्र तैयार कर उसे ज़मीन पर उतारा जाए। मुख्यमंत्री का मानना है कि जब गांव का किसान मजबूत होगा, तभी राज्य समृद्ध होगा।
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने बीते आठ वर्षों में सहकारी बैंकों की उपलब्धियों को भी साझा किया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक ने ₹9,190 करोड़ का ऋण वितरित किया था, जो अब बढ़कर ₹23,061 करोड़ हो गया है। जिला सहकारी बैंकों का कारोबार भी ₹28,349 करोड़ से बढ़कर ₹41,234 करोड़ तक पहुंच गया है।
इन बैंकों ने अब तक ₹11,516 करोड़ का फसली ऋण और ₹393 करोड़ का दीर्घकालिक ऋण वितरित किया है, जो इस बात का प्रमाण है कि सरकार की नीतियां किसानों तक प्रभावी रूप से पहुंच रही हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान की मेहनत केवल फसल उगाने तक सीमित नहीं है, बल्कि उसे सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। इसलिए सरकार भंडारण की दिशा में भी गंभीर प्रयास कर रही है। उन्होंने बताया कि कृषि अवसंरचना निधि (AIF) योजना के तहत अब तक 375 गोदाम बन चुके हैं, जबकि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के अंतर्गत 1,060 गोदामों का निर्माण किया जा चुका है।
आगामी समय में 16 जिलों में 500 से 1000 मीट्रिक टन क्षमता वाले नए गोदाम बनाए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने निजी निवेश को बढ़ावा देने की बात कहते हुए अधिकारियों को स्पष्ट और सरल नीति तैयार करने के निर्देश भी दिए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सहकारी क्षेत्र में खाली पदों पर योग्य लोगों की भर्ती के लिए अब आईबीपीएस (IBPS) के माध्यम से चयन प्रक्रिया अपनाने के निर्देश दिए हैं। इससे सहकारी संस्थाओं की कार्यक्षमता और पारदर्शिता दोनों में सुधार आएगा।
साथ ही उन्होंने राज्य की 5,000 से अधिक एम-पैक्स (M-PACS) समितियों को कंप्यूटरीकृत करने और उन्हें पीडीएस, जन औषधि केंद्र, पीएम किसान सम्मान केंद्र जैसी योजनाओं से जोड़ने का आदेश दिया है। यह कदम गांवों में सहकारिता की ताकत को और मजबूत बनाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में सहकारिता आंदोलन की जड़ें स्वतंत्रता से पूर्व की हैं और इसका उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करना रहा है। उत्तर प्रदेश में सहकारिता विभाग कृषि ऋण, खाद-बीज वितरण और भंडारण के क्षेत्र में लंबे समय से काम कर रहा है। अब योगी सरकार इसे तकनीक और पारदर्शिता से जोड़कर एक नया स्वरूप दे रही है।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा, “सहकारिता से ही आत्मनिर्भर किसान का सपना पूरा होगा।” यह योजना और सहकारिता के माध्यम से प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा मिलेगी और छोटे किसान आर्थिक रूप से सशक्त हो सकेंगे।