हिन्दुस्तान मिरर | 4 जुलाई 2025
लेखपाल क्षेत्रों की कमी बनी सबसे बड़ी बाधा, शासन को भेजी गई रिपोर्ट
अलीगढ़: अलीगढ़ जनपद के अकराबाद और छर्रा कस्बों को तहसील का दर्जा दिलाने को लेकर क्षेत्रीय राजनीति में गर्मी तेज़ है, लेकिन शासन द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार ये दोनों कस्बे फिलहाल तहसील बनने की योग्यता पर खरे नहीं उतरते। जिला प्रशासन ने शासन की मांग पर दोनों क्षेत्रों की भौगोलिक और प्रशासनिक स्थिति का गहराई से मूल्यांकन कर विस्तृत रिपोर्ट शासन को भेज दी है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि दोनों ही स्थान आवश्यक लेखपाल क्षेत्रों की न्यूनतम संख्या को पूरा नहीं करते।
तहसील गठन के लिए क्या हैं मानक?
शासन के नियमानुसार किसी भी नई तहसील के गठन के लिए आवश्यक होता है कि उस क्षेत्र में कम से कम 100 से 120 लेखपाल क्षेत्र हों। जबकि अकराबाद और छर्रा के आसपास के क्षेत्रों को मिलाकर सिर्फ 50 से 60 लेखपाल क्षेत्र ही प्रस्तावित किए जा सकते हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि यह क्षेत्र प्रशासनिक दृष्टिकोण से अभी तहसील के दर्जे के लिए तैयार नहीं हैं।
प्रशासन ने भेजी रिपोर्ट, अंतिम निर्णय शासन स्तर पर
गुरुवार देर शाम जिला अधिकारी संजीव रंजन के नेतृत्व में दोनों कस्बों की भौगोलिक स्थिति, वर्तमान तहसील मुख्यालय से दूरी, भवन की उपलब्धता, लेखपाल क्षेत्र संख्या और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की राय के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई, जिसे शासन को प्रेषित कर दिया गया है।
जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया है कि –
“शासन से छर्रा व अकराबाद को तहसील बनाने को लेकर रिपोर्ट मांगी गई थी। वस्तुस्थिति की रिपोर्ट भेज दी गई है। अंतिम निर्णय शासन स्तर से ही होगा।”
राजनीतिक बयानबाज़ी और वायरल ऑडियो से गरमाया माहौल
तहसील गठन की मांग के बीच राजनीतिक तापमान और बढ़ गया जब भाजपा विधायक रवेंद्र पाल सिंह और किसान नेता अशोक ठाकुर के बीच की एक कथित बातचीत का ऑडियो वायरल हो गया। ऑडियो में विधायक किसान नेता से तीखे शब्दों में कहते सुने जा रहे हैं –
“औकात में रहो, दिमाग खराब मत करो, मर जाओगे बेकार में।”
इस बयान के वायरल होते ही जनता और राजनीतिक वर्ग में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। हालांकि विधायक ने स्पष्ट किया कि अकराबाद और छर्रा, दोनों ही उनके विधानसभा क्षेत्र में आते हैं और वे दोनों को तहसील बनवाने के प्रयास में जुटे हैं।
कोल तहसील पर भारी बोझ, क्षेत्रीय जनता को परेशानी
अलीगढ़ जनपद की कोल तहसील, जिसमें अकराबाद भी शामिल है, पहले से ही अत्यधिक बोझ का सामना कर रही है। यहां 393 गांव, नगर निगम और 7 नगर पंचायतें आती हैं। वहीं, अतरौली तहसील में 313 गांव हैं। कोल तहसील में जिले की तिहाई से अधिक जनसंख्या निवास करती है, जिससे आम नागरिकों को प्रशासनिक कार्यों के लिए अत्यधिक भीड़ और देरी का सामना करना पड़ता है। यही कारण है कि छर्रा और अकराबाद के स्थानीय जनप्रतिनिधियों और जनता ने लंबे समय से नए तहसील गठन की मांग कर रखी है।
राजनीतिक दबाव बनाम प्रशासनिक सच्चाई
छर्रा के भाजपा विधायक रवेंद्र पाल सिंह ने हाल ही में जिला अधिकारी को मांग पत्र सौंपा था और इस प्रस्ताव को विधानसभा में भी उठाया था। इसके बाद शासन ने जिला प्रशासन से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी थी। हालांकि अब विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक लेखपाल क्षेत्रों की संख्या में वृद्धि नहीं होती, तब तक इन दोनों क्षेत्रों को तहसील का दर्जा मिल पाना संभव नहीं है।