हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 13 मई : 2025,
साइबर वार की नई चुनौती
हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर को भले ही सीमा पर शांति का प्रतीक माना जा रहा हो, लेकिन खतरे का चेहरा अब बदल चुका है। अब जंग बंदूकों से नहीं, मोबाइल कॉल्स, सोशल मीडिया और फर्जी फाइलों के जरिए लड़ी जा रही है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने देश के नागरिकों को लेकर एक बड़ा अलर्ट जारी किया है।
दुश्मन की नई चाल: कॉल, व्हाट्सऐप और फर्जी फाइलें
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार दुश्मन देश की खुफिया एजेंसियों के नाम पर भारतीय नागरिकों, पत्रकारों और रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों को टारगेट कर रहा है। ये जासूस फर्जी कॉल्स के जरिए सेना या खुफिया एजेंसी के अधिकारी बनकर संवेदनशील जानकारी हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।
विशेष तौर पर जिस नंबर +91 7340921702 से कॉल आ रही है, उसे लेकर अलर्ट जारी किया गया है। यह नंबर भारत का लग सकता है, लेकिन इसमें स्पूफिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। यानी असली नंबर छिपा हुआ होता है और फोन पर एक नकली नंबर दिखता है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे झूठे ऑपरेशन का जिक्र
ऐसे कॉल करने वाले खुद को सैन्य अधिकारी बताकर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे नामों का उपयोग करते हैं और देश की रक्षा से जुड़ी गोपनीय जानकारी मांगते हैं। जबकि हकीकत यह है कि कोई भी आधिकारिक एजेंसी फोन पर ऐसी संवेदनशील जानकारी नहीं मांगती।
सावधानी बरतना जरूरी: इन बातों का रखें विशेष ध्यान
- फोन कॉल्स के लिए:
- अनजान नंबर से आने वाली कॉल्स पर अपनी पहचान या जानकारी न दें।
- खुद को सेना या एजेंसी का बताने वाले व्यक्ति से सतर्क रहें।
- यदि कॉल पर थोड़ी भी शंका हो, तो तुरंत फोन काटें और नंबर को ब्लॉक करें।
- ऐसे कॉल की सूचना साइबर क्राइम पोर्टल या स्थानीय पुलिस स्टेशन पर दें।
- WhatsApp और सोशल मीडिया के लिए:
- किसी भी अनजान नंबर से आई फाइल, वीडियो या लिंक को न खोलें।
- .apk, .exe, .zip जैसी फाइलों से दूर रहें।
- ‘tasksche.exe’ जैसे फाइलें वायरस युक्त हो सकती हैं, जो आपके डिवाइस से डाटा चोरी कर सकती हैं।
- डिवाइस सुरक्षा के लिए:
- अपने मोबाइल और कंप्यूटर में एक भरोसेमंद एंटीवायरस जरूर इंस्टॉल करें।
- समय-समय पर डिवाइस को स्कैन करें और सिस्टम अपडेट रखें।
सीमा पर शांति, लेकिन साइबर फ्रंट पर अलर्ट जरूरी
भारत की सुरक्षा अब सिर्फ सीमाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि डिजिटल मोर्चे पर भी खतरा तेजी से बढ़ रहा है। मोबाइल, सोशल मीडिया और फर्जी फाइलें आज दुश्मन की नई जासूसी तकनीक बन चुकी हैं। ऐसे में प्रत्येक नागरिक की सतर्कता ही देश की असली सुरक्षा बन सकती है।