हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑15 मई : 2025
नई दिल्ली, 15 मई: भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों पुराना सिंधु जल समझौता अब भविष्य में पाकिस्तान के रुख पर निर्भर करता है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि यह समझौता तब तक स्थगित रहेगा जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को पूरी तरह समाप्त नहीं करता।
विदेश मंत्री ने कहा, “अब कश्मीर को लेकर अगर चर्चा के लिए कोई विषय बचा है तो सिर्फ और सिर्फ पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर (POK) को खाली कराना है। इस मुद्दे पर भारत पूरी तरह से चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन इसमें किसी भी तीसरे देश का दखल स्वीकार्य नहीं होगा।”
एस. जयशंकर ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का ज़िक्र करते हुए बताया कि भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया और उन्हें नष्ट कर दिया। उन्होंने कहा, “इस कार्रवाई को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को काफी समर्थन प्राप्त हुआ है। प्रधानमंत्री पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि पाकिस्तान से कोई भी बातचीत सिर्फ आतंकवाद पर ही होगी। भारत की ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ नीति में कोई बदलाव नहीं होगा।”
सिंधु जल समझौते पर पाकिस्तान का रुख नरम, भारत से गुहार
भारत द्वारा सिंधु जल समझौते को स्थगित किए जाने के बाद पाकिस्तान की चिंताएं बढ़ गई हैं। जल संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि भारत अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे। पाकिस्तान ने कहा है कि उसकी बड़ी आबादी खेती और पीने के पानी के लिए सिंधु नदी पर निर्भर है।
विशेषज्ञों के अनुसार, सिंधु जल समझौते की स्थगन स्थिति पाकिस्तान पर बड़ा जल संकट ला सकती है, जिससे उसकी कृषि और आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित होगा।
भारत के विदेश मंत्री ने अमेरिका के साथ चल रही द्विपक्षीय व्यापार बातचीत पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “किसी भी व्यापारिक समझौते का दोनों पक्षों के लिए लाभकारी होना आवश्यक है। भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक बातचीत जटिल है और जब तक सभी बिंदुओं पर सहमति नहीं बनती, तब तक किसी निष्कर्ष पर पहुँचना जल्दबाज़ी होगी।”
उन्होंने यह भी बताया कि भारत सरकार अमेरिकी प्रशासन के साथ लगातार संपर्क में है और हर बिंदु को लेकर गहन चर्चा की जा रही है ताकि कोई भी निर्णय राष्ट्रहित में लिया जा सके।
विदेश मंत्री जयशंकर के इन बयानों से स्पष्ट हो गया है कि भारत अब सख्त और ठोस नीति के तहत अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों को आगे बढ़ाएगा। चाहे वह पाकिस्तान हो या अमेरिका, भारत की विदेश नीति अब राष्ट्रीय सुरक्षा और स्वाभिमान को केंद्र में रखकर बनाई जा रही है। आने वाले समय में पाकिस्तान पर दबाव और बढ़ने की उम्मीद है, जबकि अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों में संतुलन और पारस्परिक लाभ की प्राथमिकता रहेगी।