आंबेडकर जयंती पर बीजेपी का बड़ा प्लान
हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 9 अप्रैल: 2025,
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इस बार आंबेडकर जयंती को केवल एक प्रतीकात्मक आयोजन नहीं, बल्कि दलित समुदाय तक सीधा संवाद स्थापित करने का अवसर बना रही है। पार्टी ने डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती (14 अप्रैल) को ध्यान में रखते हुए देशभर में विशेष कार्यक्रमों की श्रृंखला शुरू की है, जिसका उद्देश्य दलित वोटरों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करना है।
दलित समुदाय को जोड़ने की रणनीति
बीजेपी ने एक 15 दिवसीय “भीमराव आंबेडकर सम्मान अभियान” की शुरुआत की है, जो 15 अप्रैल से 25 अप्रैल तक चलेगा। इसके अंतर्गत जिला स्तर पर सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे, जिनमें कम से कम 200 दलित बुद्धिजीवियों को आमंत्रित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त हर जिले में पार्टी कार्यकर्ता दलित समाज के 5 प्रमुख लोगों से संवाद करेंगे।
कार्यक्रमों की प्रमुख रूपरेखा
- 10-12 अप्रैल: आंबेडकर जयंती को लेकर प्रदेश स्तर पर वर्कशॉप
- 13 अप्रैल: आंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर देशभर में उनकी प्रतिमाओं की सफाई और दीप प्रज्वलन
- 14 अप्रैल: दलित बस्तियों में मिठाई वितरण, संविधान की प्रस्तावना का पाठ
- 15-25 अप्रैल: जिला स्तरीय सम्मेलन और समाज से संवाद
संविधान, आरक्षण और आंबेडकर पर विवादित बयानों पर रोक
बीजेपी ने अपने नेताओं को स्पष्ट निर्देश दिया है कि वे संविधान, आरक्षण और डॉ. आंबेडकर से जुड़े मुद्दों पर विवादित बयान देने से बचें। पार्टी को पिछली बार कुछ नेताओं की टिप्पणियों से नुकसान उठाना पड़ा, जैसे कि अनंत हेगड़े, लल्लू सिंह और ज्योति मिर्धा के संविधान बदलने संबंधी बयान। इसके अलावा राजस्थान के नेता ज्ञानदेव आहूजा को दलित नेता के पूजा में शामिल होने पर “शुद्धिकरण” जैसी आपत्तिजनक टिप्पणी के चलते पार्टी से निलंबित कर दिया गया।
कांग्रेस पर ‘आंबेडकर विरोधी’ होने का आरोप
बीजेपी अब कांग्रेस पर आंबेडकर विरोधी होने का नैरेटिव बनाने में जुट गई है। पार्टी का दावा है कि कांग्रेस ने बाबा साहेब को वह सम्मान नहीं दिया जिसके वे हकदार थे, जबकि बीजेपी उनके विचारों को अपनाने और प्रचारित करने में लगी हुई है।
संगठन में दलित प्रतिनिधित्व बढ़ाने के निर्देश
बीजेपी ने संगठनात्मक स्तर पर भी बदलाव के संकेत दिए हैं। प्रदेश संगठनों को निर्देश दिया गया है कि मंडल और जिला स्तर पर दलित नेताओं को अधिक प्रतिनिधित्व दिया जाए। इसके साथ ही पार्टी के कार्यक्रमों को दलित महापुरुषों के स्मारकों और मंदिरों में आयोजित करने का सुझाव दिया गया है, जिससे समाज में संवाद और जुड़ाव को बढ़ावा दिया जा सके।
पिछले अनुभवों से सबक और भविष्य की तैयारी
2015 में आरक्षण पर संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान से पार्टी को बिहार चुनाव में नुकसान हुआ था। 2024 में भी कुछ नेताओं के बयानों ने विपक्ष को मौका दिया। अब बीजेपी इन गलतियों को दोहराने से बचना चाहती है और इसीलिए पूरी योजना को सावधानी से अंजाम दिया जा रहा है।