हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑17 मई : 2025
कैराना के मोहल्ला बेगमपुरा निवासी नोमान इलाही की गिरफ्तारी ने एक बड़े जासूसी नेटवर्क का पर्दाफाश कर दिया है। नोमान, जो पहले बेरोजगार था, बाद में पिता का पासपोर्ट बनाने का काम संभालने लगा। इसी दौरान वह पाकिस्तान स्थित ISI एजेंट इकबाल काना के संपर्क में आया और पाकिस्तान के लिए जासूसी करने लगा। जांच में यह पता चला है कि नोमान अब तक चार बार पाकिस्तान जा चुका है और पासपोर्ट सेवाओं के नाम पर फर्जी दस्तावेज बनवाने का काम भी करता था।
नोमान इलाही के पिता अहसान पासपोर्ट बनाने, आधार सुधारने और अन्य दस्तावेजी काम करते थे। पिता के साथ नोमान भी इस काम में हाथ बंटाने लगा। पिता के निधन के बाद उसने यह काम अकेले संभालना शुरू किया। शुरुआत में तो यह व्यवसाय सामान्य था, लेकिन बाद में पैसों के लालच में नोमान पाकिस्तान स्थित ISI एजेंट इकबाल काना के संपर्क में आ गया और जासूसी के जाल में फंस गया।
जांच में पता चला कि नोमान ने पासपोर्ट सेवा के बहाने सऊदी अरब, पाकिस्तान समेत कई देशों में जाने वाले लोगों के दस्तावेज बनवाए और जन सुविधा केंद्रों के माध्यम से फर्जी या संदिग्ध पासपोर्ट भी बनवाए। पानीपत क्राइम टीम के साथ जब कैराना में छापा मारा गया, तो उसके घर से आठ पासपोर्ट बरामद हुए।
नोमान 2017 से पहले चार बार पाकिस्तान गया था। वहां उसकी बुआ और मौसी रहती हैं, लेकिन जांच एजेंसियों को शक है कि इन यात्राओं के जरिए वह ISI हैंडलरों से मुलाकात करता रहा और देश विरोधी गतिविधियों के निर्देश लेता रहा। नोमान की बहन ने बताया कि पाकिस्तान के रिश्तेदारों से हाल ही में एक आमंत्रण को लेकर बातचीत हुई थी, जो जांच के दायरे में है।
नोमान ने पूछताछ में बताया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान की ISI ने सबसे ज्यादा सक्रियता दिखाई थी। इस दौरान भारतीय सेना की गतिविधियों और संवेदनशील ठिकानों की जानकारी मोबाइल और सोशल मीडिया के जरिए ISI तक पहुंचाई जाती थी। जांचकर्ताओं को संदेह है कि इस नेटवर्क में और भी कई एजेंट शामिल हैं।
आईएसआई एजेंट इकबाल काना का छोटा भाई अफजाल नई नगर कॉलोनी में रहता है और चौक बाजार में कॉस्मेटिक की दुकान चलाता है। इकबाल काना का भतीजा याहिया ने बताया कि 30 साल पहले उनका ताया पाकिस्तान चला गया था, जिससे उनका परिवार बार-बार शक की निगाह से देखा जाता है। याहिया ने अपनी परेशानी जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें अक्सर पूछताछ का सामना करना पड़ता है, जबकि वे ताया को पहचानते तक नहीं हैं।
नोमान चार महीने से पानीपत में अपनी बहन जीनत के घर रह रहा था और एक फैक्ट्री में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर रहा था। हरियाणा पुलिस की खुफिया टीम ने उसे वहीं से गिरफ्तार किया और बाद में यूपी पुलिस के हवाले किया गया। जांच अब दिल्ली, हरियाणा, देहरादून, शामली और पानीपत तक फैल चुकी है।
जांच एजेंसियों का मानना है कि इस जासूसी रैकेट में उत्तर प्रदेश, खासकर शामली और कैराना के कई युवक सक्रिय हैं। इसके अलावा हरियाणा, दिल्ली और देहरादून से भी इस नेटवर्क के लिंक मिले हैं। इस रैकेट में फेरीवाले, प्राइवेट जॉब करने वाले और जन सुविधा केंद्र ऑपरेटर शामिल हैं, जो आड़ बनाकर पाकिस्तान की तरफ से देश के खिलाफ काम कर रहे हैं।
नोमान इलाही की गिरफ्तारी ने एक बड़े ISI जासूसी नेटवर्क की पोल खोल दी है, जिसमें कई राज्यों के युवक सक्रिय हैं। जांच एजेंसियां इस मामले को गंभीरता से ले रही हैं और पूरी जांच जारी है। इस घटना से साफ हुआ कि कैसे फर्जी दस्तावेजों और पैसों के लालच में देश के खिलाफ काम करने वाले आतंकवादी और जासूस सक्रिय हो जाते हैं।