हिन्दुस्तान मिरर न्यूज: 13 जुलाई 2025
कोर्ट ने कहा – यह सुविधा है, कानूनी अधिकार नहीं
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया कि सरकारी सेवा में कार्यरत पति-पत्नी को एक ही जिले में तैनाती देना कोई कानूनी अधिकार नहीं, बल्कि सिर्फ एक प्रशासनिक सुविधा है। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति विक्रांत बंसल की खंडपीठ ने एक याचिका को खारिज करते हुए दिया।
याचिका में एक सरकारी महिला कर्मचारी ने यह अनुरोध किया था कि उसे उसके पति के कार्यस्थल वाले जिले में ट्रांसफर किया जाए, ताकि दोनों एक साथ रह सकें। याचिका में तर्क दिया गया कि पति-पत्नी को एक साथ रहने का अधिकार संविधान द्वारा प्रदत्त है और अलग-अलग जिलों में पोस्टिंग उनके पारिवारिक जीवन के लिए प्रतिकूल है।
हालांकि कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि सरकार द्वारा जारी ट्रांसफर गाइडलाइन में पति-पत्नी को एक ही जिले में रखने की बात सिफारिशात्मक है, बाध्यकारी नहीं। ऐसे दिशा-निर्देश ‘फैसिलिटी’ के तौर पर होते हैं, जिन्हें प्रशासनिक आवश्यकता और सार्वजनिक हित को ध्यान में रखकर लागू किया जाता है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि प्रशासनिक दृष्टिकोण से एक साथ पोस्टिंग संभव नहीं हो तो कर्मचारी को उसे जबरन लागू कराने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है।
यह फैसला सरकारी सेवाओं में कार्यरत दंपतियों के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी संदेश है कि पारिवारिक कारणों से ट्रांसफर की मांग न्यायालय में अधिकार के रूप में नहीं की जा सकती, जब तक कि उसमें विशेष परिस्थितियां न हों।
इस निर्णय से यह स्पष्ट हुआ है कि ट्रांसफर और पोस्टिंग जैसे विषय प्रशासनिक विवेक पर निर्भर होते हैं और अदालतें इसमें तभी हस्तक्षेप करेंगी जब कोई स्पष्ट रूप से मनमानी या भेदभाव हो।