हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 26 मार्च: लखनऊ के भटगांव में डिफेंस कॉरिडोर के लिए जमीन अधिग्रहण में हुए बड़े घोटाले में आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश और तत्कालीन अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) अमर पाल सिंह समेत 16 अधिकारियों व कर्मचारियों को दोषी ठहराया गया है। राजस्व परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष रजनीश दुबे की जांच रिपोर्ट को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंजूरी दे दी है।
जमीन अधिग्रहण में बड़े पैमाने पर अनियमितता
साल 2021 में भटगांव में 1985 की फर्जी पट्टा पत्रावली के आधार पर मुआवजे के दावे स्वीकार किए गए। यहां तक कि आरक्षित श्रेणी की सरकारी जमीन भी निजी लोगों के नाम कर दी गई। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सरकारी जमीन पर कब्जा दिलाया गया और मुआवजे का भुगतान हुआ।
कौन-कौन हुए दोषी?
जांच रिपोर्ट में तत्कालीन जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश, एसडीएम संतोष कुमार, शंभु शरण, आनंद कुमार, देवेंद्र कुमार, तहसीलदार ज्ञानेंद्र सिंह, विजय कुमार सिंह, उमेश कुमार, मनीष त्रिपाठी, नायब तहसीलदार कविता ठाकुर, राजस्व निरीक्षक राधेश्याम, जितेंद्र कुमार सिंह, नैन्सी शुक्ला, लेखपाल हरिश्चंद्र और ज्ञान प्रकाश अवस्थी को दोषी ठहराया गया है।
निलंबन और वसूली की तैयारी
- अधिकारियों का निलंबन: पहले ही घूसखोरी के आरोप में निलंबित डीएम अभिषेक प्रकाश समेत बाकी सभी दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों का निलंबन तय।
- मुआवजा राशि की वसूली: 79 फर्जी आवंटियों के नाम राजस्व रिकॉर्ड से हटाए जाएंगे, जमीन फिर से ग्राम समाज के नाम दर्ज होगी। अवैध तरीके से यूपीडा को जमीन बेचकर लिए गए मुआवजे की वसूली होगी।
सभी निवेश प्रस्तावों की होगी जांच
अभिषेक प्रकाश के कार्यकाल में हुए सभी निवेश प्रस्तावों की समीक्षा होगी, खासतौर से वे फाइलें जो निरस्त की गई थीं, उन पर फोकस किया जाएगा।
सरकारी धन की हानि और जमीन अधिग्रहण में हुए इस बड़े घोटाले में सभी दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की तैयारी है।
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