हिन्दुस्तान मिरर | 4 जुलाई 2025,अलीगढ़
दहेज हत्या मामले में 15 साल बाद इंसाफ
पति, सास और जेठ को 10-10 साल की सजा, मृत्युपूर्व बयान बने अहम साक्ष्य
अलीगढ़ (सासनी गेट)।
करीब 15 साल पुराने दहेज हत्या के एक गंभीर मामले में अदालत ने बड़ा फैसला सुनाते हुए पति, सास और जेठ को 10-10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। यह फैसला एडीजे ईसी एक्ट कोर्ट के न्यायाधीश राकेश वशिष्ठ ने सुनाया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह मामला हाथरस जिले के पिहोनी निवासी हरपाल सिंह की बेटी ऊषा की शादी से जुड़ा है। वर्ष 2008 में ऊषा की शादी अलीगढ़ के कृष्णापुरी मठिया निवासी विकास कुमार उर्फ विक्की से हुई थी। शादी के कुछ महीनों के भीतर ही ससुराल पक्ष द्वारा दहेज में ₹50,000 नकद और एक मोटरसाइकिल की मांग की जाने लगी।
हरपाल सिंह का आरोप था कि उनकी बेटी को लगातार मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता रहा। कई बार शिकायतें आने पर उन्होंने कुछ सामान व रुपए भी दिए, लेकिन जब मांग पूरी नहीं हुई तो 13 फरवरी 2010 को ऊषा को आग के हवाले कर दिया गया। गंभीर हालत में उसे जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, जहां उपचार के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।
इस मामले में पीड़िता के पति विकास कुमार, ससुर शिवशंकर, सास मीना, जेठ अरविंद और जेठानी अनीता के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ। अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी सुधांशु अग्रवाल व मुकेश शर्मा ने पैरवी की।
मामले की सुनवाई के दौरान ससुर शिवशंकर की मृत्यु हो गई, जबकि पीड़िता के मृत्युपूर्व बयान अदालत में अहम साक्ष्य बने। इन्हीं बयानों के आधार पर न्यायालय ने पति विकास कुमार, सास मीना और जेठ अरविंद को दोषी करार देते हुए 10-10 वर्ष की सजा सुनाई।
वहीं, साक्ष्य के अभाव में जेठानी अनीता को बरी कर दिया गया है।
यह फैसला वर्षों बाद न्याय की आस लगाए बैठे पीड़ित परिवार के लिए एक राहत है, और समाज को दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ सख्त संदेश देता है।