आईआईटी कानपुर और भारतीय सेना के बीच समझौता: अब बर्फ में दबे सैनिकों को ढूंढना होगा आसान
हिन्दुस्तान मिरर न्यूज: कानपुर, 11 जुलाई 2025: देश की बर्फीली सीमाओं पर तैनात सैनिकों की सुरक्षा और जीवनरक्षा को लेकर एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। भारतीय सेना और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के बीच शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण समझौता (MoU) हुआ, जिसका उद्देश्य हिमस्खलन जैसी आपदाओं के दौरान दबे हुए सैनिकों की त्वरित पहचान और तलाश के लिए उन्नत स्वदेशी तकनीक विकसित करना है।
यह समझौता स्वचालित हिमस्खलन पीड़ित पहचान प्रणाली (AAVDS – Automated Avalanche Victim Detection System) के विकास को लेकर किया गया है। इस प्रणाली के तहत आईआईटी कानपुर एक विशेष तकनीक विकसित करेगा, जिसमें सैनिकों की वर्दी में एक कॉम्पैक्ट उपकरण (attachment) जोड़ा जाएगा। यह उपकरण संकट की स्थिति में प्रकाशमान (luminescent) द्रव का उत्सर्जन करेगा, जिससे बर्फ में दबे सैनिकों की खोज आसान और तेज हो सकेगी।
इस परियोजना का नेतृत्व सूर्या कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता द्वारा किया जा रहा है। समझौते पर उन्हीं के नेतृत्व में हस्ताक्षर किए गए।
तकनीक की विशेषताएं:
- प्रकाशमान द्रव: संकट के समय वर्दी से निकलेगा चमकदार द्रव जो दूर से भी दिखाई देगा।
- कॉम्पैक्ट अटैचमेंट: सैनिक की वर्दी में छोटे आकार का उपकरण जो न सिर्फ हल्का होगा, बल्कि मौसम के अनुकूल भी।
- स्वदेशी समाधान: पूरी प्रणाली देश में विकसित की जाएगी, जिससे विदेशी निर्भरता कम होगी।
- रक्षा बलों की क्षमता में वृद्धि: हिमस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं में सैनिकों को बचाने की क्षमता में बड़ा सुधार होगा।
यह समझौता न सिर्फ तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि यह भारतीय सेना की जीवन रक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाई देगा। AAVDS के सफल विकास और प्रयोग से सीमाओं पर तैनात जवानों के जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।