हिन्दुस्तान मिरर न्यूज
वाशिंगटन, 12 जुलाई 2025:
एक अत्यंत चौंकाने वाली और गंभीर घटना ने वैश्विक राजनीति, राजनयिक संबंधों और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में नई बहस को जन्म दे दिया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के माध्यम से अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की हूबहू नकली आवाज़ तैयार कर अज्ञात लोगों ने कई अमेरिकी अधिकारियों से फोन पर बातचीत की। इस फर्जी संवाद के ज़रिए संवेदनशील जानकारी जुटाने और नीतिगत भ्रम पैदा करने की सुनियोजित साजिश सामने आई है।
कैसे हुआ यह फर्जीवाड़ा?
प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार, साइबर अपराधियों ने AI वॉयस क्लोनिंग तकनीक का इस्तेमाल करते हुए मार्को रुबियो की आवाज़ की एकदम सटीक नकल तैयार की। इस नकली आवाज़ का उपयोग कर अमेरिकी रक्षा और विदेश मामलों से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों से वीडियो कॉल या फोन के माध्यम से संपर्क किया गया। इनमें कुछ संवादों में राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति और सैन्य सहयोग से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की गई, जिससे संवेदनशील सूचनाएं लीक होने का अंदेशा है।
अमेरिकी खुफिया एजेंसियां सतर्क
इस घटना के सामने आते ही अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों—FBI, NSA और DHS—ने संयुक्त जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में इसे एक साइबर घुसपैठ और राजनयिक जासूसी का प्रयास माना जा रहा है। व्हाइट हाउस ने इस घटना को बेहद गंभीर बताते हुए कहा कि “यह AI के जरिए लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और राष्ट्रीय सुरक्षा को अस्थिर करने का प्रयास है।”
वैश्विक असर और चिंता
यह मामला अकेले अमेरिका तक सीमित नहीं है। इस घटना ने दुनिया भर की सरकारों को चौकन्ना कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि AI आधारित वॉयस क्लोनिंग और डीपफेक तकनीकें भविष्य में न केवल राजनीतिक भ्रम फैला सकती हैं, बल्कि इससे युद्ध जैसी स्थितियाँ भी उत्पन्न हो सकती हैं।
विशेषज्ञों की राय
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना AI तकनीक के अनियंत्रित और अनियमित इस्तेमाल की चेतावनी है। विशेषज्ञों ने सरकारों से आग्रह किया है कि AI क्लोनिंग पर कड़े वैश्विक नियम और निगरानी तंत्र बनाना अब अत्यंत आवश्यक हो गया है।