हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
संसद का मानसून सत्र पांच दिनों के स्थगन के बाद सोमवार से पुनः शुरू हो गया। इसी बीच समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक बार फिर चुनाव आयोग (EC) पर गंभीर सवाल उठाए। संसद के बाहर मीडिया से बातचीत करते हुए अखिलेश यादव एक लिस्ट लेकर पहुंचे और कहा कि चुनावों के दौरान जानबूझकर पिछड़ी जातियों के वोट काटे जाते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा इसके सहारे चुनाव जीतती है और फिर दिखाती है कि उन्हें पिछड़े वर्ग का समर्थन मिल रहा है।
अखिलेश ने कहा कि चुनाव आयोग की भूमिका संदिग्ध है। उन्होंने सभी पत्रकारों को एक-एक कॉपी दी और दावा किया कि इस लिस्ट में उन वोटरों का विवरण है जिनके नाम फर्जी तरीके से हटाए गए। उन्होंने इसे ईमेल की रसीद बताते हुए कहा कि कई बार शिकायतें की गईं, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। सपा मुखिया का कहना था कि वे बहुत ही कम वोटों से चुनाव हारे हैं, और वोटर लिस्ट से नाम काटे जाने की वजह से यह परिणाम प्रभावित हुआ।
सिर्फ वोट कटने ही नहीं, अधिकारियों के स्थानांतरण पर भी अखिलेश यादव ने सवाल उठाए। उन्होंने याद दिलाया कि 2017 के चुनाव के दौरान चुनाव आयोग ने कई अधिकारियों को हटाया था। लेकिन 2019, 2022 और 2024 के चुनावों में किसी भी अधिकारी को नहीं हटाया गया। उन्होंने कहा कि जब से उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी है, तब से शिकायतों के बावजूद एक भी अधिकारी पर कार्रवाई नहीं हुई।
अखिलेश ने सीधे तौर पर चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर उंगली उठाते हुए कहा कि यह संस्था भाजपा की सुनती है और विपक्ष की शिकायतों को अनदेखा करती है। उन्होंने मांग की कि अगर एक डीएम को भी निलंबित कर दिया जाए, तो पूरे देश में वोट कटने जैसी समस्या खत्म हो सकती है।
इस बयान के बाद माना जा रहा है कि संसद के भीतर भी विपक्ष इस मुद्दे को लेकर जोरदार हंगामा कर सकता है। राहुल गांधी पहले ही चुनाव आयोग पर सवाल उठा चुके हैं और अब अखिलेश यादव के तेवर विपक्ष के आक्रामक रुख को और तेज कर सकते हैं।