हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट ने यूट्यूबर्स और स्टैंड-अप कॉमेडियंस को दिव्यांगजनों के प्रति आपत्तिजनक टिप्पणियों पर सख्त फटकार लगाई है। कोर्ट ने साफ कहा कि कमाई या प्रसिद्धि पाने के लिए किसी समुदाय की गरिमा को ठेस पहुँचाना अस्वीकार्य है। इस मामले में यूट्यूबर रणवीर अल्लाहबादिया, स्टैंड-अप कॉमेडियन समय रैना, विपुल गोयल, बलराज परमजीत सिंह घई, निशांत जगदीश तंवर और सोनाली ठक्कर उर्फ सोनाली आदित्य देसाई को कोर्ट ने निर्देश दिया कि वे सार्वजनिक रूप से माफी मांगें और अपने यूट्यूब चैनलों पर वीडियो अपलोड करें।
याचिका और सुनवाई का आधार
यह मामला क्योर एसएमए फाउंडेशन ऑफ इंडिया की याचिका पर आधारित है। यह संस्था स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) से प्रभावित मरीजों और उनके परिवारों की मदद करती है। संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर शिकायत की थी कि कई कॉमेडियंस और यूट्यूबर्स दिव्यांगजनों का मजाक उड़ाकर उनकी भावनाओं को आहत कर रहे हैं।
याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने तीखी टिप्पणियाँ कीं। पीठ ने कहा कि भारत एक विविधता से भरा हुआ देश है, जहां अनेक समुदाय रहते हैं। इस स्थिति में यदि प्रभावशाली लोग भाषण या हास्य को व्यवसाय बना लेते हैं तो उन्हें किसी भी समुदाय की गरिमा से समझौता करने का अधिकार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुनवाई के दौरान जजों ने कहा:
- “हास्य जीवन का हिस्सा है और हम मजाक सह सकते हैं।”
- “लेकिन जब आप दूसरों की संवेदनशीलता पर चोट करते हैं, तो यह स्वीकार्य नहीं है।”
- “कमाई या शोहरत के लिए दिव्यांगजनों का मजाक उड़ाना बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”
कोर्ट ने कहा कि इन यूट्यूबर्स और कॉमेडियंस की टिप्पणियाँ न केवल अपमानजनक हैं, बल्कि उन्होंने दिव्यांगजनों की भावनाओं को रौंदा है।
I&B मंत्रालय को निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने केवल माफी तक ही बात सीमित नहीं रखी। अदालत ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (I&B) को भी आदेश दिया कि वह इस विषय पर स्पष्ट गाइडलाइन बनाए और ऐसे मामलों में सख्त सजा का प्रावधान करे। कोर्ट का कहना था कि यदि मजाक के नाम पर संवेदनशील समुदायों को निशाना बनाया जाता रहा, तो समाज में असमानता और मानसिक पीड़ा बढ़ेगी।
आगे की प्रक्रिया
कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि संबंधित सभी यूट्यूबर्स और कॉमेडियंस को बिना शर्त माफी मांगनी होगी। यह माफी वीडियो के रूप में उनके चैनलों और सोशल मीडिया पर प्रकाशित करनी होगी ताकि जनता को पता चले कि उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की है।