हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 13अप्रैल: 2025,
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में दलित युवक की जघन्य हत्या ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। इस दिल दहला देने वाले कांड को लेकर विपक्ष ने प्रदेश सरकार को घेर लिया है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस घटना को लेकर सरकार की आलोचना करते हुए गंभीर सवाल उठाए हैं।
क्या है पूरा मामला?
प्रयागराज जिले के करछना थाना क्षेत्र के इटौरा गांव में शनिवार रात एक दलित युवक देवी शंकर (35) की कथित तौर पर हत्या कर दी गई और फिर उसके शव को जला दिया गया।
सहायक पुलिस आयुक्त (करछना) वरुण कुमार ने जानकारी दी कि मृतक के परिजनों की तहरीर के आधार पर दिलीप सिंह और अन्य के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है।
परिजनों का आरोप है कि दिलीप सिंह ने देवी शंकर को गेहूं की धुलाई के बहाने बुलाया और फिर इस निर्मम वारदात को अंजाम दिया गया।
पुलिस ने इस मामले में सात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिनमें से छह को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।
अखिलेश यादव का तीखा वार
इस घटना के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर सरकार पर हमला बोलते हुए लिखा:
“प्रयागराज में एक प्रभुत्ववादी द्वारा दलित समाज के एक युवक को ज़िंदा जलाकर मारने का जो जघन्य अपराध हुआ है, उसने साबित कर दिया है कि सत्ता का अपने लोगों को दिया अवांछित प्रश्रय और अहंकार अब सरेआम हत्यारे तक करवा रहा है।”
अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि बाबासाहेब अंबेडकर की जयंती के ठीक पहले इस तरह की घटना कर कुछ शक्तिशाली लोग अपनी ताक़त का डर समाज में फैलाना चाहते हैं।
उन्होंने तंज कसते हुए लिखा:
“देखते हैं इन दबंग आपराधिक तत्वों के घर पर बुलडोज़र भेजने का नैतिक बल और ऊर्जा किसी में शेष बची है या फिर वो अपराधियों के सामने सरेंडर करके, ठंडे पड़ गये हैं। अगर ‘निंदनीय’ से भी निम्नतर कोई शब्द हो सकता है तो उसे इस कुकृत्य की निंदा के लिए इस्तेमाल करना चाहिए।”
विपक्ष का उठता सवाल: क्या अब भी बुलडोज़र चलेगा?
अखिलेश यादव के इस बयान के बाद सियासी हलकों में यह बहस छिड़ गई है कि क्या राज्य सरकार बुलडोज़र की नीति को निष्पक्षता से लागू करेगी या फिर यह केवल एकतरफा कार्रवाई तक सीमित है।
दलितों के प्रति हिंसा पर बढ़ता आक्रोश
यह घटना दलित समाज के बीच गहरी नाराजगी पैदा कर रही है। बाबासाहेब अंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर हुए इस अपराध ने सामाजिक समरसता और कानून व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।