हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 3 मई : 2025,
“पगड़ी पर हाथ डालने वाले हमारे ही कार्यकर्ता थे, राकेश टिकैत जाट समाज को बदनाम कर रहे हैं” — बीकेयू अटल अध्यक्ष
आगरा / मुज़फ्फरनगर।
भारतीय किसान यूनियन (अटल) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित चौधरी ने एक प्रेस वार्ता में किसान नेता राकेश टिकैत पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि हाल ही में टिकैत के साथ हुई धक्का-मुक्की और पगड़ी उछालने की घटना में उनके संगठन के कार्यकर्ता ही शामिल थे। इस खुलासे के बाद किसान राजनीति में हलचल तेज हो गई है।
“यह काम किसी और का नहीं, हमारे कार्यकर्ताओं का था”
अमित चौधरी ने साफ कहा कि “जो कुछ राकेश टिकैत के साथ हुआ, उसमें कोई बाहरी या अन्य बिरादरी का व्यक्ति शामिल नहीं था। यह सब हमारे कार्यकर्ताओं ने किया और जो लोग उनकी पगड़ी पर हाथ डाले वे भी जाट ही थे।”
उन्होंने कहा कि राकेश टिकैत अब जाट समाज को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं और लोगों को गुमराह कर रहे हैं। “अब कह रहे हैं कि मेरी पगड़ी पर हाथ डाला गया, लेकिन यह पगड़ी किसी और बिरादरी ने नहीं, जाटों ने ही पकड़ी थी,” उन्होंने कहा।
लाल किले, खालिस्तान और धारा 370 पर भी बोले चौधरी
अमित चौधरी ने राकेश टिकैत पर 2021 के किसान आंदोलन के दौरान लाल किले पर कथित रूप से खालिस्तानी झंडा लगाने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा, “ये वही टिकैत हैं जिन्होंने लाल किले पर खालिस्तान का झंडा लगाया और देश को शर्मसार किया। पगड़ी तो इन्होंने आंदोलन के समय पहननी शुरू की थी, इससे पहले कभी नहीं पहनते थे।”
उन्होंने टिकैत के देशविरोधी बयानों की ओर इशारा करते हुए कहा, “इन्होंने धारा 370 हटाने का विरोध किया और अब पहलगाम आतंकी हमले पर भी सवाल उठा रहे हैं। अगर इस हमले में इनके परिवार का कोई सदस्य शहीद होता, तो क्या तब भी ये ऐसे बयान देते?”
संपत्ति की जांच और कार्रवाई की मांग
प्रेस वार्ता में अमित चौधरी ने यह भी मांग रखी कि सरकार को राकेश टिकैत की संपत्ति की जांच करनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि टिकैत किसान के नाम पर राजनीति कर रहे हैं और खालिस्तानी संगठनों से जुड़े हुए हैं।
“सरकार इसलिए कार्रवाई नहीं करती क्योंकि राकेश टिकैत ने किसान का चोला ओढ़ रखा है। मगर अब सरकार को इनकी असलियत जानकर ठोस कार्रवाई करनी चाहिए,” – अमित चौधरी
मुज़फ्फरनगर में हुई पंचायत, आगरा में विरोध तेज
राकेश टिकैत के खिलाफ यह बयान उस समय आया है जब हाल ही में मुज़फ्फरनगर में एक बड़ी पंचायत बुलाई गई थी, जिसमें सैकड़ों किसान जुटे थे। वहीं आगरा में टिकैत का विरोध खुलकर सामने आया है।
भारतीय किसान यूनियन अटल की इस प्रतिक्रिया के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश की किसान राजनीति में नए समीकरण बनने के संकेत मिल रहे हैं।

















