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गोंडा: झाड़फूंक के दौरान किशोरी की मौत, मजार का संचालक फरार

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 4 मई : 2025,

बुखार से पीड़ित थी 17 वर्षीय कविता, इलाज की जगह मजार पर कराया गया टोना-टोटका

गोंडा (उत्तर प्रदेश), शनिवार: नवाबगंज गिर्द गांव के धर्मपुरवा स्थित मजार पर झाड़फूंक के दौरान 17 वर्षीय किशोरी कविता की मौत हो गई। उसे एक सप्ताह से तेज बुखार था, लेकिन सही इलाज के बजाय परिजन उसे मजार ले गए। शनिवार दोपहर झाड़फूंक के दौरान उसकी हालत बिगड़ने के बाद वहीं दम तोड़ दिया।

इलाज के बजाय झाड़फूंक, तीन दिन तक चलता रहा टोना-टोटका

कविता के पिता, जो कनकपुर गांव के निवासी हैं, ने बताया कि उन्होंने पहले अयोध्या के श्रीराम अस्पताल में इलाज कराया, लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। इसके बाद कुछ लोगों के कहने पर वे गुरुवार को बेटी और पत्नी के साथ हजरत गुप्ती शहीद शाह की मजार पर पहुंचे। तीन दिन तक मजार पर झाड़फूंक कराई गई, लेकिन स्थिति बिगड़ती गई और आखिरकार शनिवार को कविता की मौत हो गई।

स्थानीय लोग भड़के, पुलिस ने शुरू की जांच

घटना से नाराज स्थानीय लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। थानाध्यक्ष अभय सिंह खुद मौके पर पहुंचे और शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। फिलहाल परिजनों की ओर से कोई लिखित शिकायत नहीं दी गई है, लेकिन पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

मजार पर हमेशा रहती है भीड़, झाड़फूंक बना है कमाई का जरिया

स्थानीय लोगों ने बताया कि मजार पर अक्सर भीड़ लगी रहती है। आसपास के गांवों से लोग यहां झाड़फूंक के लिए आते हैं। मजार के संचालन के लिए एक समिति भी बनी है और बाहर से आने वाले लोग मजार परिसर में बने आवास में ठहरते हैं।

मजार से जुड़े लोग मौत के बाद फरार

कविता की मौत के बाद मजार के मुजाबिर और झाड़फूंक करने वाले लोग फरार हो गए। लोगों का आरोप है कि ये लोग झाड़फूंक के नाम पर धन कमाते हैं और किसी भी अप्रिय घटना के बाद मौके से भाग जाते हैं।

सीएमओ की चेतावनी: “झाड़फूंक से दूर रहें, समय पर करें इलाज”

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रश्मि वर्मा ने कहा कि टायफाइड, मलेरिया और डेंगू जैसे बुखारों का समय पर इलाज न होने पर संक्रमण शरीर और मस्तिष्क में फैल जाता है। ऐसी स्थिति में झाड़फूंक के बजाय नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में इलाज कराना जरूरी है।

आर्थिक तंगी में गुजर-बसर कर रहा है परिवार

कविता का परिवार आर्थिक रूप से कमजोर है। पिता ऑटो चलाते हैं और बेटा ट्रैक्टर चला कर घर चलाता है। मुफलिसी के चलते संभवतः सही इलाज नहीं करा सके।

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