हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 11 मई : 2025,
लखनऊ।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने एक और बड़ी प्रशासनिक सफलता हासिल की है। बीते एक वर्ष में प्रदेश के उप जिलाधिकारी (एसडीएम) और तहसीलदार स्तर पर 30 लाख से अधिक राजस्व मामलों का समाधान कर एक ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित किया गया है। इस पहल से जमीन और मालिकाना हक से जुड़े लंबे समय से लंबित विवादों में जनता को त्वरित राहत और न्याय मिला है।
24 लाख से अधिक नामांतरण मामलों का निस्तारण
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में 24 लाख से अधिक नामांतरण (वारिसाना हक) से जुड़े मामलों का समाधान किया गया। ये वे मामले होते हैं, जिनमें किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति का स्वामित्व उसके उत्तराधिकारी के नाम दर्ज किया जाता है।
पहले इन मामलों में वर्षों लग जाते थे, लेकिन अब इन्हें कुछ ही हफ्तों में निपटाया जा रहा है, जिससे आम नागरिकों को बड़ी राहत मिली है।
भूमि माप-जोख, बंटवारा और बेदखली जैसे विवाद भी सुलझे
मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुरूप, सरकार ने भूमि से जुड़े अन्य जटिल मामलों को भी प्राथमिकता से निपटाया है। इसमें शामिल हैं:
- 1.5 लाख से अधिक पैमाइश (भूमि माप-जोख) के मामले
- 1.5 लाख बंटवारे के मामले
- 80 हजार से अधिक बेदखली (अवैध कब्जा हटाने) के मामले
- 95 हजार अकृषक उपयोग (भूमि उपयोग में परिवर्तन) के मामले
इन सभी प्रयासों से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लाखों नागरिकों को वर्षों से चली आ रही परेशानियों से मुक्ति मिली है।
डिजिटलीकरण और जवाबदेही से आई तेजी
प्रदेश सरकार ने राजस्व मामलों में पारदर्शिता और गति लाने के लिए डिजिटलीकरण, ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया, सीएम हेल्पलाइन, और पोर्टल आधारित ट्रैकिंग सिस्टम जैसे कई नवाचार किए। साथ ही अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के लिए नियमित समीक्षा बैठकें आयोजित की गईं।
न्याय भी मिला, निवेश की राह भी आसान
इस व्यापक अभियान का असर सिर्फ आम नागरिकों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इससे प्रदेश में निवेश और विकास की राह भी आसान हुई है। भूमि विवाद समय पर न सुलझने पर औद्योगिक और निजी परियोजनाएं प्रभावित होती हैं। अब इन मामलों के शीघ्र समाधान से यूपी की छवि एक ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस राज्य के रूप में भी मजबूत हुई है।
सुशासन की दिशा में मजबूत कदम
योगी सरकार का यह प्रयास न केवल आम जनता को त्वरित न्याय देने वाला है, बल्कि प्रशासन की विश्वसनीयता और साख बढ़ाने वाला भी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह अभियान उत्तर प्रदेश को गुड गवर्नेंस की दिशा में आगे ले जा रहा है और आने वाले वर्षों में भी इसका सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा।