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दिल्ली की अदालत का सख्त रुख: मासूम के अपहरण और हत्या की कोशिश के आरोपी को मिली सजा, पीड़ित की मजबूत गवाही बनी निर्णायक

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑15 मई : 2025

दिल्ली: राजधानी दिल्ली में एक दिल दहला देने वाले अपराध मामले में अदालत ने मोहम्मद मोई उर्फ मोहित नामक आरोपी को अपहरण और हत्या की कोशिश के मामले में दोषी करार दिया है। आरोपी ने एक नाबालिग बच्चे को बहला-फुसलाकर अगवा किया, उसे जबरन शराब पिलाई और फिर जान से मारने की नीयत से तेजधार हथियार और ईंट से हमला किया। इस अमानवीय हरकत ने न सिर्फ समाज को झकझोर दिया, बल्कि न्यायपालिका को भी कड़ा रुख अपनाने पर मजबूर कर दिया।

यह भयावह वारदात राजधानी के एक इलाके में उस वक्त सामने आई जब आरोपी मोहम्मद मोई ने एक मासूम बच्चे को अपने झांसे में लेकर सुनसान जगह ले गया। वहां उसने पहले बच्चे को जबरन शराब पिलाई और फिर जानलेवा हमला किया। आरोपी ने बच्चे पर न सिर्फ हथियार से वार किया बल्कि ईंट से भी प्रहार किया, जिससे बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया।

घटना के बाद एक राहगीर ने घायल बच्चे को देखा और तुरंत PCR को कॉल कर पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची और गंभीर हालत में बच्चे को अस्पताल पहुंचाया। बच्चा उस वक्त होश में था, लेकिन बेहद डरा हुआ और आघात में था।

इस मामले में सबसे अहम भूमिका निभाई पीड़ित बच्चे की गवाही ने। एडिशनल सेशन जज अमित सहलावत ने फैसले में कहा कि बच्चे की गवाही “स्टर्लिंग क्वालिटी” की थी — यानी बेहद सटीक, स्पष्ट, और विश्वसनीय। बच्चा अपनी कम उम्र के बावजूद बिना डरे पूरी घटना को क्रमवार और तार्किक तरीके से अदालत के सामने रखने में सफल रहा।

न्यायालय ने माना कि बच्चे की गवाही को मेडिकल और फॉरेंसिक रिपोर्ट से पूरा समर्थन मिला, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि वह सच्चाई कह रहा था। जज ने कहा, “उस बच्चे की आंखों ने जो देखा, वही उसका सबसे बड़ा सबूत बन गया। उसकी चोटें उसकी गवाही की दस्तावेज बन गईं।”

हालांकि जांच में कुछ खामियां भी सामने आईं। जैसे कि पीसीआर कॉल करने वाले राहगीर से पूछताछ नहीं की गई, और आरोपी की शर्ट गिरफ्तारी से पहले ही मालखाने में जमा दिखा दी गई। लेकिन अदालत ने इन खामियों को “तकनीकी” मानते हुए मामले की जड़ पर कोई असर नहीं पड़ने दिया। जज ने कहा कि जब गवाही इतनी जीवंत और प्रमाणिक हो, तो ऐसी तकनीकी खामियों को न्याय में बाधा नहीं बनने दिया जा सकता।

अदालत ने आरोपी मोहम्मद मोई को भारतीय दंड संहिता की धारा 364-A (अपहरण कर फिरौती या हत्या की कोशिश) और धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत दोषी पाया। जज सहलावत ने कहा, “आरोपी की क्रूरता किसी भी सभ्य समाज के लिए अस्वीकार्य है। मासूमों की सुरक्षा से बड़ा कोई न्याय नहीं हो सकता।”

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