हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑ मंगलवार 27 मई 2025
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हाल ही में बांकेबिहारी जी मंदिर ट्रस्ट के गठन को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि भाजपा और उसके करीबी लोग मंदिरों के प्रबंधन में भ्रष्टाचार कर रहे हैं और उन पर कब्जा कर मंदिरों की परंपरागत व्यवस्था को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। इस मामले में सपा प्रमुख ने सोशल मीडिया साइट एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट के माध्यम से अपनी बात कही और कई गंभीर सवाल उठाए।
अखिलेश यादव का आरोप: मंदिर प्रबंधन में भाजपा की घुसपैठ और भ्रष्टाचार
अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार मंदिरों के प्रशासन को अपने प्रभाव में लेने के लिए लगातार कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि जो लोग सदियों से इन मंदिरों के प्रबंधन और संचालन में श्रद्धा और सेवा भाव से लगे हुए थे, उन्हें प्रशासन के नाम पर बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। साथ ही उन पर अविश्वास जताते हुए आरोप लगाए जा रहे हैं कि वे मंदिर प्रबंधन में सक्षम नहीं हैं और यहां तक कि बेलपत्रों को भी बेचने जैसे भ्रष्टाचार के दावे किए जा रहे हैं। अखिलेश यादव ने कहा:
“मंदिरों में श्रद्धालु जो दान-पुण्य करते हैं, उसका सदुपयोग दर्शन, प्रसाद-भेंट, सुरक्षा, जन सुविधा, धर्मशाला आदि धर्मार्थ कार्यों में होता आया है। सेवा-भाव से भरा आस्थावान प्रबंधन इसे सुनिश्चित करता है। बाहरी या पेशेवर लोग इसे लाभ-हानि की नजर से देखते हैं, श्रद्धा का विषय नहीं। कुछ प्रशासनिक लोगों ने मंदिर में चढ़ाये गये बेलपत्रों तक को बेचकर भ्रष्टाचार किया है।”
कन्नौज सांसद का स्पष्ट संदेश: धर्म भलाई के लिए होता है, कमाई के लिए नहीं
अखिलेश यादव ने स्पष्ट रूप से कहा कि भाजपा और उनके धनलोलुप समर्थक मंदिरों का प्रशासन अपने फायदे के लिए कर रहे हैं, जो कि धर्म और संस्कृति के खिलाफ है। उन्होंने कहा:
“कारोबारी भाजपा और उनके धन लोलुप संगी-साथी याद रखें कि धर्म भलाई के लिए होता है, कमाई के लिए नहीं।”
सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा के खिलाफ भाजपा का क़ब्ज़ा
अखिलेश यादव ने इस पूरी प्रक्रिया को देश की सांस्कृतिक-धार्मिक परंपरा के खिलाफ बताया। उनका कहना है कि मंदिरों के न्यासियों की जगह प्रशासनिक अधिकारियों को बैठाना, जिनका स्थानांतरण भी होता रहता है, उचित नहीं। ये लोग ईश्वर की कृपा के पात्र न्यासियों जैसे आस्थावान नहीं हो सकते। उन्होंने लिखा:
“यह अनायास नहीं है कि जब से भाजपा आई है, एक के बाद एक मंदिरों पर प्रशासनिक कब्जा होता जा रहा है। यह देश की सांस्कृतिक-धार्मिक परंपरा के विरुद्ध है। जो भावना एक न्यास में होती है, वह प्रशासन के उन लोगों में कैसे हो सकती है जिनका स्थानांतरण होता रहता है।”