हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
ताइवान के मुद्दे पर चीन और जापान के बीच बढ़ता तनाव एशिया ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी बन गया है। जापान के हालिया बयान के बाद शुरू हुई जुबानी जंग अब सैन्य टकराव की आशंका तक पहुँच चुकी है। एक्सपर्ट्स चेतावनी दे रहे हैं कि एशिया की दो बड़ी इकॉनमी के बीच कोई भी गलत कदम स्थिति को वर्ल्ड वॉर जैसी परिस्थिति में बदल सकता है।
तनाव के तीन बड़े कारण
उप्साला यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अशोक स्वैन के अनुसार युद्ध की संभावना कम है, लेकिन हालात बिगड़ सकते हैं। आर्मी एनालिस्ट फिलिप इंग्राम बताते हैं कि जापान द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार इतनी तेजी से अपनी मिलिट्री क्षमता बढ़ा रहा है। वहीं चीन पहले से ताइवान पर सख्त रुख और भारी सैन्य निवेश कर रहा है।
प्रोफेसर स्वैन तीन प्रमुख संभावनाएँ बताते हैं, जो दोनों देशों को सीधी भिड़ंत की ओर ले जा सकती हैं—
- फाइटर जेट या नेवी क्लैश: किसी भी हवाई या समुद्री भिड़ंत से हालात अनियंत्रित हो सकते हैं और राजनीतिक दखल से पहले ही फायरिंग शुरू हो सकती है।
- गलतफहमी या हादसा: पायलट का रास्ता भटकना या किसी जहाज का गलत मूवमेंट 1937 के मार्को पोलो ब्रिज इंसिडेंट जैसा बड़ा संकट पैदा कर सकता है।
- जापान द्वारा ताइवान के पास हथियार तैनाती: चीन के लिए यह सीधी रेड लाइन होगी, जिससे निश्चित रूप से सैन्य संघर्ष शुरू हो सकता है।
अंतरराष्ट्रीय दखल और संभावित वर्ल्ड वॉर खतरा
एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि चीन और जापान में टकराव होता है, तो अमेरिका अपनी सुरक्षा संधि के तहत तुरंत जापान की मदद के लिए कूद पड़ेगा। जापान में अमेरिकी सैन्य ठिकाने और फोर्स पहले से मौजूद हैं। दूसरी ओर, रूस और चीन के क़रीबी रिश्ते इस संघर्ष को और बड़ा बना सकते हैं। रूस यूरोप में मोर्चा खोल सकता है, जबकि ईरान और नॉर्थ कोरिया भी चीन-रूस की तरफ खड़े हो सकते हैं। ऐसे में यह क्षेत्रीय संघर्ष तीसरे विश्व युद्ध जैसा रूप ले सकता है।













