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अलीगढ़ : वाह रे पुलिस ! पीडित महिला अधिवक्ता गयी थी न्याय मांगने उसी पर पर कर दी एफआईआर !

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज।13 June 2025
अलीगढ़, इगलास।
न्याय के मंदिर में न्याय मांगने गई महिला अधिवक्ता को तब झटका लगा जब खुद उसके ऊपर ही एफआईआर दर्ज कर दी गई। यह मामला इगलास क्षेत्र का है, जहां सिविल कोर्ट की अधिवक्ता शालिनी बघेल ने ग्राम सीतापुर निवासी रवि बघेल पर सोशल मीडिया के ज़रिए बदनाम करने, धमकी देने और अश्लील भाषा के प्रयोग का आरोप लगाया था। मगर अब खुद उन्हें और उनके पति सौदान बघेल को आरोपी बना दिया गया है।

क्या है पूरा मामला?

9 जून 2025 को रवि बघेल ने फेसबुक पर एक प्लॉट से संबंधित भ्रामक और अपमानजनक पोस्ट साझा की, जिसे लेकर अधिवक्ता शालिनी बघेल ने आपत्ति जताई। उनका कहना है कि इस पोस्ट का न तो उनसे कोई संबंध है और न ही उनकी किसी संपत्ति से। 10 जून को वही पोस्ट दोबारा साझा की गई, जिसमें रवि ने शालिनी को कथित तौर पर धमकाया और अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया।

शालिनी ने थाने में दी गई तहरीर में रवि के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग करते हुए उसके पोस्ट के स्क्रीनशॉट और सबूत भी पुलिस को सौंपे। पुलिस ने तत्काल एक्शन लेते हुए रवि बघेल के खिलाफ सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया।

पीड़िता पर FIR
12 जून को जो घटनाक्रम सामने आया उसने सभी को हैरान कर दिया। अधिवक्ता शालिनी बघेल और उनके पति सौदान बघेल के खिलाफ भी पुलिस ने देर रात मुकदमा दर्ज कर दिया है। पीड़िता का आरोप है कि यह मुकदमा पुलिस और रवि बघेल की मिलीभगत का परिणाम है।

शालिनी का कहना है कि जिस समय का ज़िक्र एफआईआर में है, उस समय वह अपने घर पर थीं । उन्होंने इसे पूरी तरह झूठा और बदनीयत से प्रेरित बताया है।

न्याय के लिए फिर दरवाज़ा खटखटाया

मीडिया से बात करते हुए एडवोकेट शालिनी बघेल का कहना है कि उनके पास अपने पक्ष में पर्याप्त साक्ष्य हैं और वे इस मामले को लेकर आज अधिवक्ता साथियों के साथ पुलिस से मुलाक़ात करेंगे।
शालिनी बघेल का कहना है कि —जब उन्होंने साक्ष्यों के साथ शिकायत की, तो उन्हें ही आरोपी क्यों बना दिया गया? क्या कानून का पालन करने वाली महिला अधिवक्ता को इस तरह अपमानित करना सही है?

क्या कहती है पुलिस?

आज दर्जन भर से ज्यादा अधिवक्ता एडवोकेट शालिनी बघेल के साथ सीओ इगलास से मिले , सीओ ने कहा है कि गलत मुक़दमा हटा दिया जायेगा। और उचित क़ानूनी कार्यवाही की जायेगी।
सवाल यह उठता है कि जब पीड़िता ने पहले एफआईआर दर्ज कराई थी, तो जांच के बिना उसी पर मुकदमा दर्ज करना पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

यह मामला कानून व्यवस्था पर भरोसे की नींव को हिलाने वाला है। देखने वाली बात होगी कि अब पुलिस इस पर क्या कार्रवाई करते हैं और पीड़ितों को न्याय मिलेगा या नहीं।

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