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अयोध्या: लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी का अंतिम संस्कार आज, पूरे सैन्य सम्मान के साथ दी जाएगी विदाई

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑ 24 मई : 2025

अयोध्या/सिक्किम — देश के लिए बलिदान देने वाले वीर सपूत लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी का आज अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव गदोपुर मझवा, अयोध्या में पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया जाएगा। 23 वर्षीय इस युवा अधिकारी ने उत्तर सिक्किम में एक ऑपरेशनल मिशन के दौरान अपने साथी सैनिक की जान बचाते हुए शहादत दी थी।

शनिवार शाम विशेष एयर क्राफ्ट के जरिए उनका पार्थिव शरीर अयोध्या पहुंचाया गया। यहां पहुंचते ही सेना की टुकड़ी ने उन्हें अंतिम सलामी दी। गांव और आसपास के क्षेत्रों में शोक की लहर दौड़ गई है। हर आंख नम है, हर चेहरा गर्व और दुख से भरा हुआ।

शशांक के चचेरे भाई अनुराग त्रिपाठी ने बताया कि उनके पिता जंग बहादुर तिवारी, जो वर्तमान में अमरीका में हैं, अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए रवाना हो चुके हैं। जंग बहादुर भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त सेलर हैं।
शशांक अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे। उनकी शहादत से परिवार पूरी तरह टूट चुका है। मां की हालत बेहद खराब बताई जा रही है।

लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी ने 14 दिसंबर 2024 को भारतीय सेना की सिक्किम स्काउट यूनिट में नियुक्ति पाई थी। महज छह महीने की सेवा में ही उन्होंने असाधारण साहस और समर्पण का परिचय देते हुए वीरगति पाई।

गुरुवार को जब वे रूट ओपनिंग पेट्रोल (ROP) का नेतृत्व कर रहे थे, तब एक साथी सैनिक अग्निवीर स्टीफन सुब्बा एक लकड़ी के पुल से फिसलकर तेज बहाव वाली नदी में गिर पड़े। बिना समय गंवाए लेफ्टिनेंट शशांक ने अपने जीवन की परवाह किए बिना नदी में छलांग लगा दी। उनके साथ सैनिक नायक पुकार कटेल ने भी कूदकर बचाव कार्य में मदद की। दोनों ने मिलकर अग्निवीर को बचा लिया, लेकिन इस दौरान तेज बहाव शशांक को बहा ले गया
करीब 11.30 बजे उनका शव नदी से लगभग 800 मीटर नीचे बरामद हुआ।

लेफ्टिनेंट शशांक की शहादत पर शोक व्यक्त करते हुए सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने सोशल मीडिया पर लिखा –

“लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी के दुखद बलिदान से गहरा दुख हुआ है। उनका साहस, कर्तव्यनिष्ठा और देशभक्ति हमेशा याद रखी जाएगी।”

उनकी अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल होने की उम्मीद है। गांव के हर घर में मातम है, लेकिन साथ ही अपने बेटे पर गर्व भी है। शशांक तिवारी ने यह दिखा दिया कि एक सच्चा सैनिक क्या होता है — जो दूसरों की जान बचाने के लिए अपनी जान की बाजी भी लगा दे।

शशांक ने अयोध्या में ही अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की थी। बचपन से ही उनका सपना सेना में जाकर देश की सेवा करना था, जिसे उन्होंने बेहद कम उम्र में साकार कर दिखाया। आज वे हर युवा के लिए प्रेरणा बन गए हैं

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