हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑ 24 मई : 2025
बरेली, उत्तर प्रदेश के बरेली से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने न केवल नगर निगम की लापरवाही उजागर की है, बल्कि यह भी दिखा दिया कि कैसे एक छोटी सी गलती किसी मासूम की जान ले सकती है। नगर निगम द्वारा नाला सफाई के दौरान लापरवाही इतनी बड़ी हो गई कि एक निर्दोष व्यक्ति की जान चली गई। मृतक की पहचान 45 वर्षीय सुनील प्रजापति के रूप में हुई है, जो एक मेहनतकश सब्जी विक्रेता था।
क्या है पूरा मामला?
घटना गुरुवार की है जब नवादा शेखान निवासी सुनील प्रजापति थकान के कारण सतीपुर रोड स्थित कब्रिस्तान के सामने एक पेड़ के नीचे सो रहे थे। उसी दौरान नगर निगम की तरफ से नाला सफाई के लिए आई ट्रॉली वहां पहुंची। ठेकेदार के कर्मचारियों ने सफाई से निकाली गई सिल्ट (कीचड़ और मलबा) से भरी ट्रॉली वहीं सड़क किनारे पलट दी। दुर्भाग्यवश उन्हें यह एहसास नहीं था कि ठीक वहीं एक व्यक्ति सो रहा है।
ट्रॉली के नीचे दबकर सुनील की सांसें रुक गईं। जब उनके परिजन उन्हें खोजते हुए वहां पहुंचे, तो उन्हें शक हुआ कि सिल्ट के नीचे सुनील हो सकते हैं। जैसे ही सिल्ट हटाई गई, सुनील को अचेत अवस्था में पाया गया। आनन-फानन में उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
शुक्रवार को हुए पोस्टमार्टम में इस बात की पुष्टि हुई कि सुनील की मौत गला, नाक और मुंह में सिल्ट भरने के कारण दम घुटने से हुई है। यानी साफ है कि अगर थोड़ी सी सावधानी बरती जाती, तो एक जान बच सकती थी।
मृतक के पिता गिरवर सिंह प्रजापति ने थाना बारादरी में नगर निगम के ठेकेदार नईम शास्त्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। उनका आरोप है कि यह घटना कोई महज हादसा नहीं, बल्कि एक साजिश थी। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है और ठेकेदार की तलाश में दबिश दी जा रही है।
सुनील की मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। वह घर का एकमात्र कमाऊ सदस्य था। उसकी पत्नी गोमती, दो बेटियां शिल्पी और स्वाति (इंटर की छात्राएं) और बेटा आर्यन (दसवीं का छात्र) अब बेसहारा हो गए हैं। सुनील रोज सुबह डेलापीर मंडी से सब्जियां खरीदता और फेरी लगाकर बेचता था, जिससे घर का खर्च चलता था।
परिवार न्याय की गुहार लगा रहा है और स्थानीय प्रशासन से मदद की उम्मीद कर रहा है। यह घटना नगर निगम की लापरवाही और ठेकेदारी सिस्टम की अनदेखी का बड़ा उदाहरण है, जिसमें एक मेहनती इंसान की जान चली गई। सवाल यह है कि क्या अब भी कोई जिम्मेदार ठेकेदार और संबंधित अधिकारी सजा पाएंगे? या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह फाइलों में दब जाएगा?