हिन्दुस्तान मिरर न्यूज: 24 जुलाई 2025
ग्राम प्रधान और बीडीसी चुनाव में नहीं देगी दखल
लखनऊ, विशेष संवाददाता।
उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण का काम भी तेज़ी से चल रहा है। अप्रैल-मई 2026 में प्रस्तावित इन चुनावों को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चुनावी रणनीति बनानी शुरू कर दी है और खासतौर पर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सियों पर फोकस कर रही है।
भाजपा ने तय किया है कि वह इस बार अधिक से अधिक जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर अपना वर्चस्व बनाएगी। इसके लिए पार्टी का पूरा जोर जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव पर रहेगा। वहीं, ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत (बीडीसी) सदस्यों के चुनाव में पार्टी हस्तक्षेप नहीं करेगी, ताकि स्थानीय स्तर पर होने वाले विवादों से बचा जा सके।
प्रदेश में वर्तमान में कुल 75 जिला पंचायतें, 826 क्षेत्र पंचायतें और 57,691 ग्राम पंचायतें हैं। इन सभी में सबसे ज्यादा राजनीतिक महत्व जिला पंचायत अध्यक्ष पद का होता है, क्योंकि यही पद आगामी विधानसभा चुनावों में जमीनी संगठन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाता है।
भाजपा ने मिशन-2027 को ध्यान में रखते हुए यह रणनीति बनाई है। पार्टी का मानना है कि यदि वह जिला पंचायतों में अपना वर्चस्व स्थापित कर लेती है, तो इससे उसे 2027 के विधानसभा चुनावों में बड़ा लाभ मिल सकता है।
इस बार भाजपा और उसके सहयोगी दल पंचायत चुनाव अलग-अलग लड़ सकते हैं। स्थानीय स्तर पर गठबंधन से बचने और आंतरिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पंचायत चुनावों के ज़रिए भाजपा प्रदेश में अपने सांगठनिक ढांचे को और मज़बूत करने की तैयारी में है।