हिन्दुस्तान मिरर न्यूज: 2अगस्त 2025
तलाक की कार्यवाही में लगाए आरोप वैध, पत्नी को संरक्षण का अधिकार
बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि तलाक की कार्यवाही के दौरान पत्नी द्वारा पति पर लगाए गए नपुंसकता के आरोपों को मानहानि नहीं माना जा सकता। न्यायमूर्ति एस एम मोदक ने 17 जुलाई को दिए गए आदेश में एक व्यक्ति की मानहानि याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत नपुंसकता एक वैध और प्रासंगिक तलाक का आधार है।
यह मामला एक ऐसे पति की ओर से दायर याचिका का था, जिसकी पत्नी ने तलाक और भरण-पोषण की मांग करते हुए अदालत में याचिका और एफआईआर दर्ज कराई थी। इनमें पति को नपुंसक बताया गया था। पति ने दावा किया कि इन आरोपों से उसकी प्रतिष्ठा को सार्वजनिक रूप से नुकसान हुआ है, इसलिए यह मानहानि का मामला बनता है।
हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब वैवाहिक विवाद अदालत में होता है, तब पत्नी को अपने हितों की रक्षा के लिए ऐसे आरोप लगाने का अधिकार है। नपुंसकता जैसे आरोप क्रूरता के दावे को साबित करने में सहायक हो सकते हैं और इसलिए उन्हें मानहानिकारक नहीं माना जा सकता।
जज मोदक ने अपने आदेश में कहा कि यदि पत्नी यह साबित करना चाहती है कि वैवाहिक जीवन में उसे क्रूरता झेलनी पड़ी, तो उसे ऐसे आरोप लगाने की स्वतंत्रता है। ऐसे आरोप तलाक की वैध प्रक्रिया का हिस्सा हैं।