हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
यूपी के गाजियाबाद में डासना देवी मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद एक बार फिर विवादों में हैं। अक्सर भड़काऊ और अल्पसंख्यकों के खिलाफ बयानबाज़ी को लेकर सुर्खियों में रहने वाले यति नरसिंहानंद ने इस बार बेहद आपत्तिजनक दावा करते हुए लोगों से अपील की कि वे मुस्लिम डॉक्टरों के पास इलाज न कराएं और नेम प्लेट देखकर ही अस्पताल व डॉक्टर चुनें। उन्होंने कहा कि ऐसे डॉक्टरों का पूरी तरह बहिष्कार किया जाना चाहिए। उनके इस बयान ने सोशल और राजनीतिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है, जबकि सभी समुदायों में नाराज़गी देखी जा रही है।
यति नरसिंहानंद का विवाद यहीं नहीं रुका। उन्होंने अल-फलाह यूनिवर्सिटी, जामिया मिलिया इस्लामिया, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) और दारुल उलूम देवबंद को आतंकी अड्डे तक करार दे दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने सेना भेजकर तोपों से इन संस्थानों को उड़ाने की मांग भी की। इस बयान के बाद कई संगठनों द्वारा उन्हें कठघरे में खड़ा किया गया है और इस तरह की बयानबाज़ी को नफरत फैलाने वाला बताया जा रहा है।
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने यति नरसिंहानंद के बयान को गैर-जिम्मेदाराना और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वाला बताया। उन्होंने कहा,
“डॉक्टर की कोई जात या धर्म नहीं होता। मरीज के लिए डॉक्टर भगवान जैसा होता है। ऐसे में मुस्लिम डॉक्टरों का बहिष्कार करने की अपील करना नफरत फैलाने वाली सोच है।”
मौलाना ने यह आरोप भी लगाया कि यति नरसिंहानंद अक्सर ऐसे बयान देते रहे हैं जो समुदायों के बीच दूरी और तनाव बढ़ाते हैं, और यह देश के हित में नहीं है। रजवी ने सरकार और प्रशासन से ऐसी जहर फैलाने वाली बयानबाज़ी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग भी की।
इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएँ सामने आईं। कई लोगों ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं और डॉक्टरों को धर्म के आधार पर बांटना न केवल अनैतिक है, बल्कि संविधान और मानवीय मूल्यों के विपरीत भी है। देश में हजारों मुस्लिम डॉक्टर विभिन्न अस्पतालों में वर्षों से मरीजों की सेवा कर रहे हैं और उनके योगदान को नजरअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

















