हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑ 20 मई : 2025
नोएडा: उत्तर प्रदेश के नोएडा सेक्टर-148 स्थित जीएसटी कार्यालय में भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला उजागर हुआ है। जीएसटी प्रशासनिक अधिकारी सत्येंद्र बहादुर सिंह को मेरठ विजिलेंस टीम ने 45,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। इस कार्रवाई ने न केवल विभागीय अनियमितताओं को उजागर किया है, बल्कि शासन की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति को भी बल दिया है।
नोएडा की एक निजी फर्म ‘रामाटेक’, जो वर्ष 2016 से कंप्यूटर रिपेयरिंग का कार्य कर रही है, को हाल ही में जीएसटी कार्यालय की ओर से सूचना मिली कि वित्तीय वर्ष 2016-17 और 2017-18 का टैक्स असेसमेंट लंबित है। फर्म पर 4.55 लाख रुपये का टैक्स बकाया बताया गया।
जब फर्म का प्रतिनिधि कार्यालय पहुंचा और मामले को समझने की कोशिश की, तो आरोपी अधिकारी सत्येंद्र बहादुर सिंह ने कर कार्रवाई से राहत दिलाने के नाम पर 50,000 रुपये की रिश्वत की मांग की। काफी बातचीत के बाद यह रकम घटाकर 45,000 रुपये पर तय की गई।
हालांकि, फर्म के प्रतिनिधि ने ईमानदारी दिखाते हुए रिश्वत देने से इनकार कर दिया और मेरठ स्थित विजिलेंस कार्यालय में इसकी शिकायत दर्ज कराई। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए विजिलेंस टीम ने एक योजनाबद्ध तरीके से कार्रवाई की और आरोपी को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया।
विजिलेंस अधिकारियों ने बताया कि सत्येंद्र बहादुर सिंह के खिलाफ थाना नॉलेज पार्क में मुकदमा दर्ज किया जा रहा है और सभी आवश्यक कानूनी प्रक्रियाएं तेजी से आगे बढ़ाई जा रही हैं। इस मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कठोर धाराएं लगाई गई हैं।
जीएसटी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी संदीप ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि विभागीय स्तर पर आंतरिक जांच प्रारंभ कर दी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि दोषी के खिलाफ कठोर विभागीय कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, यह भी सवाल उठता है कि क्या विभाग को ऐसे भ्रष्टाचार की कोई भनक पहले नहीं लगी?
इस कार्रवाई के बाद नोएडा व आसपास के व्यापारिक समुदाय में उम्मीद जगी है कि अगर भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ समय रहते शिकायत की जाए, तो कार्रवाई निश्चित है। यह मामला एक बार फिर सरकारी कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है, जहां बिना रिश्वत के फाइलें आगे नहीं बढ़तीं।
नोएडा जैसे आधुनिक और विकसित शहर में सरकारी विभागों की यह स्थिति चिंता का विषय है। विजिलेंस की कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन यह तभी प्रभावी मानी जाएगी जब शासन स्तर पर ऐसे मामलों पर निगरानी और कड़ी कार्रवाई की निरंतरता बनी रहे।