हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
नेपाल इन दिनों भारी राजनीतिक अस्थिरता से गुजर रहा है। गुरुवार को राजधानी काठमांडू में दिनभर चली बैठकों के बावजूद अंतरिम सरकार के नेतृत्व को लेकर सहमति नहीं बन सकी। इस संकट की अगुवाई नई पीढ़ी यानी जेन-जी आंदोलनकारी कर रहे हैं। ये नौजवान पुराने राजनीतिक ढांचे से असंतुष्ट होकर नए नेतृत्व और संविधान में आम जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप बदलाव की मांग कर रहे हैं।
राष्ट्रपति और सेना से बैठकें, लेकिन सहमति नहीं
प्रदर्शनकारी युवाओं के प्रतिनिधियों ने राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और सेना के शीर्ष अधिकारियों से बातचीत की। राष्ट्रपति ने जनता से शांति बनाए रखने की अपील की और कहा कि वह संवैधानिक दायरे में रहकर संकट का समाधान तलाशेंगे। लेकिन नेतृत्व के नाम पर जेन-जी आंदोलनकारी दो धड़ों में बंटे नजर आए।
कार्की बनाम घीसिंग-संपांग धड़ा
काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह (बालेन) ने पूर्व जस्टिस सुशीला कार्की का समर्थन किया। लेकिन आंदोलनकारी युवाओं का दूसरा धड़ा इस नाम पर सहमत नहीं हुआ। दूसरी ओर, कुछ कार्यकर्ता नेपाल विद्युत प्राधिकरण के पूर्व सीईओ कुलमान घीसिंग और धरान के मेयर हरका संपांग के नाम को आगे बढ़ा रहे थे। इस वजह से पूरे दिन कोई अंतिम फैसला नहीं हो सका।
संसद भंग और संविधान संशोधन की मांग
युवाओं के एक समूह ने प्रेस वार्ता कर संसद भंग करने और संविधान में संशोधन की मांग की। उनका कहना था कि संविधान खत्म नहीं करना है, लेकिन इसमें बड़े और जरूरी बदलाव चाहिए ताकि जनता की वास्तविक चिंताएं शामिल हो सकें। कार्यकर्ता दिवाकर डंगाल ने कहा कि हमारे सामने राष्ट्रीय संप्रभुता, एकता और आत्मसम्मान की रक्षा की चुनौती है, और इसके लिए हमें एकजुट रहना होगा।
प्रदर्शन और हिंसा का असर
काठमांडू की सड़कों पर जेन-जी के उग्र प्रदर्शन जारी हैं। अब तक इन प्रदर्शनों में कई लोगों की मौत हो चुकी है। आंदोलनकारी युवाओं ने चेतावनी दी कि पुराने राजनीतिक दल उनके जन आंदोलन का दुरुपयोग न करें, वरना विरोध और तेज होगा।
भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी
नेपाल में हालात बिगड़ते देख भारत सरकार ने भी अपने नागरिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की। आंध्र प्रदेश के मंत्री नारा लोकेश ने बताया कि 144 तेलुगु नागरिकों को विशेष विमान से विशाखापत्तनम और तिरुपति लाया गया। इसके अलावा विभिन्न राज्यों के 500 से अधिक भारतीय रक्सौल सीमा से स्वदेश लौटे।
मोदी की सराहना
इस पूरे घटनाक्रम के बीच, अंतरिम सरकार की दावेदार सुशीला कार्की ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि भले ही दोनों देशों की सरकारें अलग-अलग नीतियां अपनाती हों, लेकिन भारत और नेपाल के लोगों का रिश्ता दिल से दिल तक है।













