हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 29 अप्रैल: 2025,
उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब रात के समय भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टरों और अन्य चिकित्सा कर्मियों की अनिवार्य उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी। यदि कोई डॉक्टर या स्टाफ अनुपस्थित पाया गया, तो उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
सभी मंडलीय अपर निदेशकों को सौंपी गई जिम्मेदारी
चिकित्सा स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने हाल ही में सभी मंडलीय अपर निदेशकों और मुख्य चिकित्साधिकारियों के साथ बैठक की। इस बैठक में सीएचसी की वर्तमान स्थिति की गहन समीक्षा की गई। बैठक के दौरान प्रमुख सचिव ने निर्देश दिया कि प्रत्येक सीएचसी को रात में भी पूरी तरह क्रियाशील रखा जाए।
उन्होंने मंडलीय अपर निदेशकों को निर्देशित किया कि वे सुनिश्चित करें कि रात के समय हर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर और स्टाफ मौजूद रहें। इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा कि सभी आवश्यक चिकित्सा उपकरण भी क्रियाशील स्थिति में होने चाहिए।
रात में मरीजों को मिलेगा समुचित उपचार
प्रमुख सचिव ने कहा कि रात के समय आने वाले मरीजों को भर्ती करने की सुविधा दी जाए और जरूरत पड़ने पर जांच की सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि केवल गंभीर मामलों में ही मरीजों को जिला अस्पताल या उच्चस्तरीय चिकित्सा केंद्रों में रेफर किया जाए। सामान्य स्थिति में मरीजों का इलाज सीएचसी में ही किया जाए।
सीएचसी की सेवाओं का होगा निरीक्षण
रात में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे रात के समय अस्पतालों का औचक निरीक्षण करें। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि कहीं भी स्वास्थ्य सेवाओं में कोई लापरवाही न हो।
प्रदेश के सीएचसी का वर्तमान आंकड़ा
उत्तर प्रदेश के 972 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में प्रतिवर्ष लगभग नौ करोड़ मरीजों को उपचार प्रदान किया जाता है। इनमें से करीब 20 लाख मरीजों को भर्ती कर इलाज किया गया। इस भारी संख्या को देखते हुए सरकार ने रात की सेवाओं को भी पूरी तरह सक्रिय और सक्षम बनाने का निर्णय लिया है।