2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए एक बार फिर प्रचंड जीत की ओर बढ़ रहा है। शुरुआती रुझानों में भाजपा-जदयू गठबंधन को लगातार बढ़त मिलती दिख रही है। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम 6 बजे दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय से कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे। पूरे प्रदेश में भाजपा और जदयू कार्यालयों में जश्न का माहौल है। कार्यकर्ताओं ने ढोल-नगाड़ों पर नृत्य किया, मिठाइयाँ बाँटीं और पटाखे फोड़कर ऐतिहासिक जीत का स्वागत किया।
नीतीश-मोदी की जोड़ी का असर
नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जोड़ी ने इस चुनाव में अपनी मजबूत पकड़ दिखाई है। पिछले दो दशकों से बिहार की राजनीति के प्रमुख स्तंभ रहे नीतीश कुमार को जनता ‘सुशासन बाबू’ के नाम से जानती है। इस चुनाव को उनकी लोकप्रियता और स्थिर शासन मॉडल की बड़ी परीक्षा माना जा रहा था। विकास, बुनियादी ढाँचे, सामाजिक योजनाओं और प्रशासनिक स्थिरता पर आधारित संयुक्त अभियान से दोनों नेताओं ने ग्रामीण और शहरी मतदाताओं का भरोसा जीता।
एनडीए का शानदार प्रदर्शन
ताज़ा रुझानों के अनुसार एनडीए 197 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। इसमें भाजपा 90, जदयू 80, लोजपा 20, हम 3 और रालोद 4 सीटों पर आगे है। दूसरी ओर महागठबंधन पिछड़ता दिख रहा है जिसमें राजद 28, कांग्रेस 4, भाकपा (माले) 4 और माकपा 1 सीट पर आगे हैं। इसके अलावा एआईएमआईएम 5 और बसपा 1 सीट पर बढ़त बनाए हुए है। एनडीए की यह स्थिति साफ दिखाती है कि जनता ने विकास आधारित राजनीति को प्राथमिकता दी है।
शांतिपूर्ण चुनाव और कानून-व्यवस्था पर भरोसा
बिहार में इस बार चुनाव पूरी तरह शांतिपूर्ण रहे और कहीं भी पुनर्मतदान की जरूरत नहीं पड़ी। यह अपने आप में बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि 1985, 1990 और 1995 जैसे चुनावों में हिंसा और पुनर्मतदान बड़ी चुनौतियाँ थीं। एनडीए इसे अपनी मजबूत कानून-व्यवस्था और प्रशासनिक सुधारों का नतीजा बता रहा है।
ग्रामीण जनमत और विकास का प्रभाव
बिहार की 89% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। एनडीए ने ग्रामीण इलाकों में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। नीतीश कुमार की विकास योजनाएँ, सड़क-बिजली-पानी के सुधार और पीएम मोदी की लोकप्रियता ने चुनावी माहौल को एनडीए के पक्ष में झुका दिया। ग्रामीण मतदाताओं ने शिक्षा, स्वास्थ्य और महिलाओं की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी एनडीए को समर्थन दिया।
नीतीश कुमार का लंबा राजनीतिक सफर
चार दशकों से अधिक के राजनीतिक अनुभव वाले नीतीश कुमार ने बिहार को स्थिरता और विकास के रास्ते पर आगे बढ़ाया है। उनका सफर 1970 के दशक के जेपी आंदोलन से शुरू हुआ था। उन्होंने पिछड़े वर्गों और धर्मनिरपेक्ष राजनीति में अपनी मजबूत पहचान स्थापित की। ग्रामीण बुनियादी ढाँचे और प्रत्यक्ष आर्थिक सहायता योजनाओं ने उन्हें जनता का प्रिय नेता बनाया। यह चुनाव उनकी नेतृत्व क्षमता और राजनीतिक समझ की एक और बड़ी जीत माना जा रहा है।













