हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: सोमवार 9 जून 2025
झांसी। झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में लापरवाही और संवेदनहीनता का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। क्षय रोग (टीबी) से पीड़ित एक मरीज को डॉक्टरों ने उसकी गंभीर स्थिति के बावजूद 14 वर्षीय नाबालिग बेटे से लिखित सहमति लेकर 5 जून को अस्पताल से छुट्टी दे दी। इलाज के अभाव में दो दिन बाद मरीज ने अपने बेटे की गोद में दम तोड़ दिया।
मृतक की पहचान 45 वर्षीय सुनील गुप्ता के रूप में हुई है, जो मूलतः उरई के तुलसी नगर का निवासी था और झांसी के बड़ागांव गेट के पास किराए पर रहकर सुभाषगंज में मुनीम का काम करता था। वह लंबे समय से टीबी से पीड़ित था और 3 जून को तबीयत बिगड़ने पर पत्नी पिंकी, 11 वर्षीय बेटा वंश और 4 साल की बेटी के साथ मेडिकल कॉलेज पहुंचा था। उन्हें वार्ड नंबर 6 में भर्ती कराया गया था।
नाबालिग बेटे की मिन्नतें, डॉक्टरों की बेरुखी
4 जून को मरीज की पत्नी अचानक गायब हो गई, जिसके बाद 11 वर्षीय बेटा वंश अपने बीमार पिता की सेवा करता रहा। 5 जून को डॉक्टरों ने मरीज को डिस्चार्ज करने का निर्णय लिया। जब वंश ने डॉक्टरों से इलाज जारी रखने की गुहार लगाई, तो उसकी बात को अनसुना कर दिया गया। उल्टा, डॉक्टरों ने अपने बचाव में नाबालिग से सहमति पत्र लिखवाकर अंगूठे का निशान भी लगवा लिया।
डिस्चार्ज के बाद वंश अपने पिता को अस्पताल परिसर स्थित आश्रय स्थल पर ले गया, जहां वे दो दिन तक बिना इलाज पड़े रहे। हालत बिगड़ने पर 7 जून की रात सुनील गुप्ता की मौत हो गई। बेटे ने ग्वालियर में रहने वाली बुआ को फोन कर सूचना दी, जो रात तीन बजे मौके पर पहुंची और शव को उरई ले गई। 8 जून को अंतिम संस्कार किया गया।
चश्मदीदों का बयान: बच्चा रोता रहा, किसी ने मदद नहीं की
आश्रय स्थल पर मौजूद तीमारदारों के अनुसार, बच्चा लगातार रोता रहा और मदद की गुहार लगाता रहा, लेकिन किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया। उसने बताया था कि डॉक्टरों ने इलाज करने से मना कर दिया है और कोई दवा भी नहीं दी गई।
जांच शुरू, तीन डॉक्टरों और नर्स से पूछताछ होगी
मेडिकल कॉलेज के एसआईसी डॉ. सचिन माहुर ने बताया कि वार्ड नंबर छह में तैनात रहे तीन जूनियर डॉक्टरों – डॉ. शिवम, डॉ. विनायक और डॉ. सांची – तथा सिस्टर इंचार्ज से पूछताछ की जाएगी।