हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 5 मई : 2025,
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में खेत की चकबंदी को लेकर दो पक्षों में विवाद बढ़ गया, जिसके चलते एक जानलेवा हमला हुआ। आरोप है कि दूसरे पक्ष ने पहले खेत की जुताई की, फिर योजनाबद्ध तरीके से कार में टक्कर मारी, जिससे वह खेत में जा गिरी। इसके बाद धारदार और नुकीले हथियारों का इस्तेमाल करते हुए पीड़ित पक्ष पर हमला किया गया। इस हमले में 5 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से दो की हालत गंभीर बनी हुई है। इस मामले में पुलिस ने 11 आरोपियों पर FIR दर्ज की है।
पूरा मामला क्या है?
यह विवाद औरंगाबाद थाना क्षेत्र के गांव मूढी बकापुर में हुआ। यहां प्रन्वेंद्र शर्मा, नरेंद्र, निखिल, जितेंद्र शर्मा और सत्येंद्र पक्ष का दूसरे पक्ष से खेत की चकबंदी को लेकर विवाद चल रहा था। आरोप है कि रविवार को दूसरे पक्ष ने जोर जबरदस्ती खेत की जुताई कर दी थी। इसके बाद पीड़ित पक्ष थाने में शिकायत करने गया था। लौटते समय गांव के पास आरोपी पक्ष ने उनके ऊपर जानलेवा हमला किया। पहले स्टेट हाईवे पर उनकी कार में टक्कर मारी गई, जिससे वह खेत में जा गिरी। इसके बाद आरोपियों ने खेत में दौड़ा-दौड़ाकर पीड़ित पक्ष को बेरहमी से पीटा। घटनास्थल पर धारदार और नुकीले हथियारों का भी इस्तेमाल किया गया।
घायलों की स्थिति
घटना में कुल 5 लोग घायल हुए हैं। इनमें से दो की हालत गंभीर है, जबकि 3 अन्य को हल्की चोटें आई हैं। पीड़ित पक्ष ने आरोप लगाया कि दो लोगों को गोली लगी है, हालांकि एसएसपी ने मेडिकल जांच के बाद गन शॉट्स के आरोपों को नकारा है।
एफआईआर और गिरफ्तारी
इस मामले में पुलिस ने कुल 11 लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में FIR दर्ज की है। आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। एसएसपी दिनेश कुमार सिंह ने इस घटना की गहरी जांच की बात कही है और गिरफ्तारी के लिए 5 टीमों का गठन किया है। अब तक दो आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
एसओ की भूमिका पर सवाल
घटना के दौरान कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिनमें पीड़ित पक्ष के लोग आरोप लगा रहे हैं कि औरंगाबाद थाना प्रभारी (एसओ) ने इस मामले में लापरवाही बरती और आरोपियों के साथ मिलीभगत की। वीडियो के आधार पर एसएसपी ने एसओ की भूमिका की जांच के आदेश दिए हैं।
असली विवाद का कारण
यह विवाद गांव मूढी बकापुर में हो रही चकबंदी प्रक्रिया से जुड़ा है। पीड़ित पक्ष को चकबंदी के तहत उनके मूल खेत से अलग खेत आवंटित किया गया था, लेकिन उन्हें उस पर कब्जा नहीं मिला था। कई बार राजस्व अधिकारियों से गुहार लगाने के बावजूद, उनकी शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। रविवार को विपक्षियों ने उनका खेत जोत दिया, जिसके बाद विवाद ने गंभीर रूप ले लिया।