हिन्दुस्तान मिरर न्यूज: शुक्रवार 27 जून 2025
पुरी, ओडिशा: भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा आज, 27 जून 2025 को पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर से शुरू हो रही है। यह भव्य यात्रा गुंडिचा मंदिर तक जाएगी, जो भगवान जगन्नाथ की मौसी का निवास माना जाता है। लाखों भक्त इस पावन अवसर पर भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के दर्शन के लिए पुरी पहुंचे हैं। रथ यात्रा 12 दिनों तक चलेगी और 8 जुलाई 2025 को नीलाद्रि विजय के साथ समाप्त होगी, जब भगवान अपने मूल मंदिर लौटेंगे।
राष्ट्रपति और PM मोदी की शुभकामनाएं
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक्स पर लिखा, “पवित्र रथ यात्रा के अवसर पर मैं देश-विदेश में रह रहे महाप्रभु जगन्नाथ के भक्तों को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं। रथ पर विराजमान बड़े ठाकुर बलभद्र, महाप्रभु श्रीजगन्नाथ, देवी सुभद्रा और चक्रराज सुदर्शन के दर्शन करके लाखों भक्त दिव्य अनुभूति प्राप्त करते हैं। इस पुण्य अवसर पर मेरी प्रार्थना है कि पूरे विश्व में शांति, मैत्री और स्नेह का वातावरण रहे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक्स पर शुभकामनाएं दीं,
“भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के पवित्र अवसर पर सभी देशवासियों को मेरी ढेरों शुभकामनाएं। श्रद्धा और भक्ति का यह पावन उत्सव हर किसी के जीवन में सुख, समृद्धि, सौभाग्य और उत्तम स्वास्थ्य लेकर आए, यही कामना है। जय जगन्नाथ!
भक्तों में उत्साह, विश्व भर से पहुंचे श्रद्धालु
पुरी में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है। श्री जगन्नाथ मंदिर के बाहर लाखों श्रद्धालु भगवान के दर्शन और रथ खींचने के लिए एकत्रित हुए हैं। अमेरिका से आईं इक्वाडोर मूल की एक महिला भक्त ने कहा, “हम वास्तव में खुश हैं कि आज हम भगवान जगन्नाथ के दर्शन करेंगे। पहली बार पुरी आना और अपनी भक्ति साझा करना सपना सच होने जैसा है।” रथ यात्रा में शामिल होने के लिए देश-विदेश से भक्त पहुंचे हैं, और शहर भक्ति, संगीत और जयकारों से गूंज रहा है।
रथ यात्रा की विशेषताएं और परंपराएं
रथ यात्रा हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आयोजित होती है। इस दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को विशाल, सजाए गए रथों—नंदीघोष, तालध्वज और दर्पदलन—पर गुंडिचा मंदिर ले जाया जाता है। यह परंपरा भगवान के अपनी मौसी के घर जाने की मान्यता को दर्शाती है, जो सामाजिक सद्भाव और भाईचारे का प्रतीक है
पुरी के भाजपा सांसद संबित पात्रा ने कहा, “अनादि काल से माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ स्वयं यहां निवास करते हैं और यहीं से ब्रह्मांड का संचालन करते हैं। स्नान पूर्णिमा के बाद भगवान बीमार पड़ते हैं और उनका इलाज किया जाता है। आज वे गुंडिचा मंदिर के लिए रवाना होंगे।
सुरक्षा और व्यवस्था
इस वर्ष रथ यात्रा में 10 लाख से अधिक भक्तों के शामिल होने की उम्मीद है। भीड़ प्रबंधन के लिए विशेष मोबाइल ऐप्स और AI कैमरों की मदद ली जा रही है। पुरी पुलिस ने 23,884 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया है, और आपात स्थिति के लिए मल्टी-एजेंसी मॉक ड्रिल भी आयोजित की गई।
पर्यटन और रेल सुविधा
रथ यात्रा के साथ-साथ पुरी की सांस्कृतिक और प्राकृतिक सुंदरता भी पर्यटकों को आकर्षित कर रही है। ईस्ट-कोस्ट रेलवे ने भक्तों की सुविधा के लिए जगदलपुर, विशाखापट्टनम और रायगड़ा से पुरी के लिए 365 विशेष ट्रेनें चलाने की घोषणा की है।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, “महाप्रभु के आशीर्वाद से पूरा विश्व शांतिपूर्ण हो, और प्रगति व विकास हो। सनातन धर्म की यह अनूठी परंपरा सामाजिक समावेश और भाईचारे का संदेश देती है।” रथ यात्रा के दौरान कई धार्मिक रस्में जैसे छेरा पहरा और नबजौबन दर्शन आयोजित किए जाते हैं, जो इस उत्सव को और भी विशेष बनाते हैं।