हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
न्यूयॉर्क/सैन फ्रांसिस्को, एजेंसी।
अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों और कथित तानाशाही रवैये के खिलाफ शनिवार को देशभर में अब तक का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ। ‘नो किंग्स’ नाम से आयोजित इस राष्ट्रव्यापी आंदोलन में 2,700 से अधिक शहरों और कस्बों में लाखों लोगों ने सड़कों पर उतरकर अपनी आवाज बुलंद की। न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में ही एक लाख से अधिक लोग एकत्र हुए, जिनके हाथों में “लोकतंत्र, राजतंत्र नहीं”, “संविधान वैकल्पिक नहीं है” और “नफरत अमेरिका को महान नहीं बनाएगी” जैसे नारे लिखे पोस्टर थे।
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि ट्रंप लोकतांत्रिक मूल्यों की अवहेलना कर एक राजा की तरह व्यवहार कर रहे हैं, जो असंवैधानिक है। सैन फ्रांसिस्को में करीब 50 हजार लोगों ने आव्रजन नीतियों और नेशनल गार्ड की तैनाती के खिलाफ रैली निकाली। सिएटल में ‘सिएटल इंडिविजिबल’ समेत विभिन्न श्रमिक संगठनों ने स्वास्थ्य सेवा सब्सिडी के नवीनीकरण और संघीय बलों की वापसी की मांग की।
‘नो किंग्स’ आंदोलन का यह दूसरा बड़ा प्रदर्शन था। इससे पहले 14 जून को ट्रंप के जन्मदिन पर 50 राज्यों में लाखों लोगों ने हिस्सा लिया था। न्यूयॉर्क पुलिस विभाग ने जानकारी दी कि इस बार किसी प्रदर्शनकारी को गिरफ्तार नहीं किया गया।
इस बीच, उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने यूएस मरीन कॉर्प्स, कैप पेंडलटन में कहा कि ट्रंप प्रशासन अमेरिकी जनता और सशस्त्र बलों के हितों के लिए संघर्ष करना कभी नहीं छोड़ेगा। वहीं, सीनेट नेता चक शूमर मैनहट्टन में प्रदर्शन में शामिल हुए, जबकि रिपब्लिकन नेताओं ने इसे “अमेरिका से नफरत करने वाली रैली” कहकर खारिज कर दिया।













