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रिटायर्ड डीआईजी अजय मोहन शर्मा पर आय से अधिक संपत्ति की जांच, विजिलेंस को सौंपी गई जांच की कमान

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: गुरुवार 12 जून 2025

मेरठ। शासन की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत अब वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों पर भी शिकंजा कसता नजर आ रहा है। इसी क्रम में रिटायर्ड डीआईजी अजय मोहन शर्मा के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के गंभीर आरोपों की जांच विजिलेंस को सौंपी गई है। यह मामला तब सामने आया जब उनके छोटे भाई पुनीत मोहन शर्मा ने शासन को शिकायत देकर बड़े पैमाने पर अवैध संपत्ति अर्जन का आरोप लगाया।

पुनीत ने सतर्कता अनुभाग के उप सचिव गरीश चंद्र मिश्र को पत्र लिखते हुए आरोप लगाया कि अजय मोहन शर्मा ने सेवा के दौरान पद का दुरुपयोग करते हुए करोड़ों रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित की। प्राथमिक जांच में आरोपों की पुष्टि होने पर शासन ने विजिलेंस की निरीक्षक रेणुका को विस्तृत जांच की जिम्मेदारी सौंपी है। निरीक्षक रेणुका ने जांच आदेश मिलने की पुष्टि की है, हालांकि उन्होंने अभी संपत्ति की जानकारी से अनभिज्ञता जताई है।

सेवा और आरोपों का ब्यौरा

मेरठ के सूरजकुंड क्षेत्र स्थित आर्य नगर निवासी अजय मोहन शर्मा 1989 बैच के पीपीएस अफसर हैं। 2001 में उन्हें प्रमोशन के बाद आईपीएस बनाया गया था। उनकी तैनाती मेरठ, आगरा समेत कई प्रमुख शहरों में हुई। 2018 में वे मेरठ पीएसी के डीआईजी पद से सेवानिवृत्त हुए।

शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि नोटबंदी के दौरान उन्होंने एसबीआई की प्रभात नगर शाखा में बड़ी रकम जमा की। इसके अलावा मदन मोहन इंस्टीट्यूट ऑफ स्किल एंड सिक्योरिटी मैनेजमेंट नामक संस्था में फर्जी छात्रों के नाम पर अवैध कमाई को सफेद धन में बदला गया।

करोड़ों की संपत्ति का खुलासा

शिकायत में अजय मोहन शर्मा पर देश के विभिन्न शहरों में करोड़ों की संपत्तियां खरीदने का आरोप लगाया गया है, जिनमें:

  • शास्त्रीनगर (मेरठ) में ₹1.30 करोड़ की संपत्ति
  • लखनऊ में ₹50 लाख की संपत्ति
  • नोएडा और गाजियाबाद में कुल ₹3 करोड़ के फ्लैट
  • जेवर एयरपोर्ट के पास ₹20 करोड़ की जमीन
  • आगरा में ₹1.5 करोड़ की जमीन

बताया जा रहा है कि ये संपत्तियां सेवा काल के दौरान ही अर्जित की गई थीं। 2016 में आयकर विभाग द्वारा इन संपत्तियों की जांच की जा चुकी है। शिकायत में यह भी उल्लेख है कि बच्चों की शिक्षा पर भी करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं।

पूर्व में इस संबंध में तत्कालीन एसपी इंदू सिद्धार्थ द्वारा जांच की संस्तुति दी गई थी, जिसे अब शासन ने आधार बनाते हुए जांच को आगे बढ़ाया है।

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