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भारत में ग्रामीण विकास :- एक परिचय

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: रविवार , 8 जून 2025

ग्रामीण विकास एक बहुआयामी अवधारणा है जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है। यह केवल आर्थिक विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और पर्यावरणीय पहलुओं को भी शामिल किया जाता है। ग्रामीण विकास का लक्ष्य ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाना है ताकि वे अपनी समस्याओं का समाधान स्वयं कर सकें और अपने संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकें।

ग्रामीण विकास के प्रमुख घटक:

  • कृषि और संबद्ध क्षेत्र का विकास: ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार कृषि है। इसलिए, कृषि उत्पादकता बढ़ाना, सिंचाई सुविधाओं का विस्तार करना, उन्नत बीज और उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करना, पशुधन विकास, मत्स्य पालन और वानिकी जैसे संबद्ध क्षेत्रों को बढ़ावा देना ग्रामीण विकास के लिए महत्वपूर्ण है। इसमें फसल विविधीकरण, जैविक खेती और कृषि-प्रसंस्करण उद्योगों को भी शामिल किया जा सकता है।
  • बुनियादी ढांचे का विकास: ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर बुनियादी ढांचे का होना आवश्यक है। इसमें सड़क, बिजली, पीने का पानी, स्वच्छता, आवास और संचार सुविधाएं शामिल हैं। इन सुविधाओं की उपलब्धता से न केवल जीवन स्तर में सुधार होता है, बल्कि आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलता है।
  • शिक्षा और कौशल विकास: ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का प्रसार और व्यावसायिक कौशल का विकास ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करता है। इसमें प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक, साथ ही कृषि, हस्तशिल्प और अन्य ग्रामीण उद्योगों से संबंधित कौशल प्रशिक्षण शामिल है।
  • स्वास्थ्य और पोषण: ग्रामीण आबादी के लिए सुलभ और सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता महत्वपूर्ण है। इसमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, अस्पताल, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाएं और पोषण संबंधी जागरूकता कार्यक्रम शामिल हैं।
  • महिला सशक्तिकरण: ग्रामीण विकास में महिलाओं की भागीदारी और सशक्तिकरण अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के माध्यम से महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक उनकी पहुंच बढ़ाना, और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक है।
  • गरीबी उन्मूलन और रोजगार सृजन: ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी एक बड़ी चुनौती है। मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) जैसी योजनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने और गरीबी कम करने में मदद करती हैं। सूक्ष्म वित्त और उद्यमिता को बढ़ावा देना भी महत्वपूर्ण है।
  • पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ विकास: ग्रामीण विकास को पर्यावरण के अनुकूल होना चाहिए। इसमें प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, जल संचयन, वृक्षारोपण और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग शामिल है ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए संसाधनों को संरक्षित किया जा सके।
  • पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत करना: स्थानीय स्वशासन (पंचायती राज संस्थाएं) ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उन्हें अधिक अधिकार और संसाधन प्रदान करने से वे अपनी स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार विकास योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू कर सकते हैं। ग्रामीण विकास की चुनौतियाँ:
  • गरीबी और असमानता: ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी का उच्च स्तर और आय में असमानता एक बड़ी चुनौती है।
  • अपर्याप्त बुनियादी ढांचा: कई ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी पर्याप्त सड़क, बिजली, पानी और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है।
  • सीमित रोजगार के अवसर: कृषि पर अत्यधिक निर्भरता और गैर-कृषि क्षेत्रों में सीमित अवसरों के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी एक समस्या है।
  • प्रवास: बेहतर अवसरों की तलाश में ग्रामीण आबादी का शहरी क्षेत्रों में प्रवास ग्रामीण विकास को प्रभावित करता है।
  • जलवायु परिवर्तन के प्रभाव: जलवायु परिवर्तन, जैसे कि सूखा और बाढ़, कृषि उत्पादन और ग्रामीण आजीविका पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
  • संस्थागत और प्रशासनिक चुनौतियाँ: योजनाओं के क्रियान्वयन में अक्षमता, भ्रष्टाचार और समन्वय की कमी भी चुनौतियाँ हैं। भारत में ग्रामीण विकास के लिए सरकारी पहलें:

भारत सरकार ने ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा): ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा बढ़ाने के लिए प्रत्येक ग्रामीण परिवार को एक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों के रोजगार की गारंटी।
  • प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY): असंबद्ध ग्रामीण बस्तियों को बारहमासी सड़कों से जोड़ना।
  • प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण (PMAY-G): ग्रामीण क्षेत्रों में सभी बेघर और कच्चे घरों में रहने वाले परिवारों को 2022 तक पक्का घर उपलब्ध कराना।
  • दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM): ग्रामीण गरीब परिवारों को स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से सशक्त बनाना और स्थायी आजीविका के अवसर प्रदान करना।
  • स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण): ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता और खुले में शौच मुक्त स्थिति प्राप्त करना।
  • जल जीवन मिशन: प्रत्येक ग्रामीण घर में 2024 तक नल से सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना।
  • ग्राम स्वराज अभियान: ग्रामीण विकास के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों को एक साथ लाना और उनका प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना। निष्कर्ष:

ग्रामीण विकास एक सतत और जटिल प्रक्रिया है जिसके लिए एक समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि इसमें स्थानीय समुदायों, गैर-सरकारी संगठनों, निजी क्षेत्र और अनुसंधान संस्थानों की सक्रिय भागीदारी भी आवश्यक है। ग्रामीण विकास के माध्यम से ही एक समावेशी और न्यायसंगत समाज का निर्माण संभव है, जहाँ सभी को सम्मान और अवसरों के साथ जीने का अधिकार हो।

बुटा सिंह
सहायक आचार्य,
ग्रामीण विकास विभाग,
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, दिल्ली

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