हिन्दुस्तान मिरर न्यूज: गुरुवार 3 जुलाई 2025
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु उसकी खुद की लापरवाही, स्टंट या रेसिंग जैसी जानबूझकर जोखिमपूर्ण गतिविधियों के कारण होती है, तो उसके परिजनों को बीमा कंपनी से मुआवजा नहीं मिलेगा। यह फैसला सड़क सुरक्षा, बीमा दायित्व और जिम्मेदारी को लेकर एक बड़ा संदेश देता है।
मामला क्या था?
यह निर्णय एक विशेष मामले में आया जहां एक युवक की सड़क पर रेसिंग के दौरान दुर्घटना में मौत हो गई थी। युवक के माता-पिता ने अपने बेटे की बीमा पॉलिसी के तहत बीमा कंपनी से मुआवजा (क्लेम) मांगा। उनका तर्क था कि चूंकि उनके बेटे की बीमा पॉलिसी वैध थी, इसलिए उन्हें मुआवजा मिलना चाहिए।
हालांकि, बीमा कंपनी ने तर्क दिया कि यह मामला “अपनी मर्जी से जोखिम उठाने” और “लापरवाही से वाहन चलाने” का है, जो बीमा नियमों के अंतर्गत कवर नहीं होता।
सुप्रीम कोर्ट का क्या कहना है?
सुप्रीम कोर्ट ने बीमा कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि:
- बीमा एक अनुबंध है, जिसमें कुछ शर्तें स्पष्ट रूप से तय होती हैं।
- यदि बीमा धारक जानबूझकर जोखिम उठाता है, जैसे रेसिंग या स्टंट करना, तो यह बीमा अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन है।
- ऐसी स्थिति में बीमा कंपनी मुआवजा देने के लिए बाध्य नहीं मानी जाएगी।
कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि किसी की मृत्यु अगर उसकी खुद की गलती से होती है, जैसे हेलमेट न पहनना, तेज रफ्तार में गाड़ी चलाना या स्टंट करना, तो उसे ‘accidental death’ की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।
यह फैसला बीमा कानून की व्याख्या को स्पष्ट करता है और यह बताता है कि बीमा सुरक्षा का मतलब यह नहीं है कि व्यक्ति किसी भी प्रकार का जोखिम लेकर चल सके।
यह फैसला बीमा कंपनियों के लिए राहत का कारण है, वहीं आम लोगों के लिए चेतावनी कि सड़क पर लापरवाही या जानबूझकर खतरनाक गतिविधियों से बीमा सुरक्षा भी हाथ से जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न केवल कानून के लिहाज से बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह आम लोगों को जिम्मेदार वाहन चलाने के लिए प्रेरित करता है और बीमा के दुरुपयोग को रोकने का मार्ग प्रशस्त करता है। अब बीमा कंपनियों को ऐसे मामलों में गैरजिम्मेदाराना दावों से राहत मिलेगी, वहीं यह निर्णय सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में एक मजबूत कदम है।