हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑ गुरुवार 5 जून 2025 अयोध्या
अयोध्या। गंगा दशहरा के पावन अवसर पर अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर में एक और ऐतिहासिक अध्याय जुड़ गया है। गुरुवार को राम दरबार समेत आठ देव विग्रहों की भव्य प्राण प्रतिष्ठा विधि-विधान और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सम्पन्न हुई।
प्राण प्रतिष्ठा समारोह का शुभारंभ सुबह 6 बजे से हुआ, जबकि अभिजीत मुहूर्त में सुबह 11:25 से 11:40 बजे के बीच मुख्य प्राण प्रतिष्ठा की गई। इस पवित्र अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत 500 से अधिक विशिष्ट अतिथि शामिल हुए।
समारोह से पूर्व बुधवार को अधिवास की सभी वैदिक प्रक्रियाएं पूर्ण की गईं। इसमें जलाधिवास, अन्नाधिवास, पुष्पाधिवास, शय्याधिवास आदि विधियों का आयोजन किया गया। भगवान को शय्याधिवास कर सुलाया गया था, जिन्हें गुरुवार को जगाकर अभिषेक, श्रृंगार व पूजन के बाद प्रतिष्ठित किया गया।
21 पवित्र नदियों के जल से हुआ अभिषेक
बुधवार सुबह यज्ञ मंडप में देवताओं की पूजा-अर्चना और हवन के बाद भारत की 21 पवित्र नदियों के जल से सभी देव विग्रहों का अभिषेक किया गया। इसके उपरांत दोपहर में राम दरबार व अन्य विग्रहों को चांदी की चौकियों पर पालकी में विराजित कर मंदिर परिसर का भ्रमण कराया गया। जयकारों के साथ यह परिक्रमा पूरी की गई।
सोने-चांदी के आभूषणों से किया गया श्रृंगार
प्राण प्रतिष्ठा के बाद श्रीराम, सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमान जी को विशेष आभूषणों से अलंकृत किया गया। ये आभूषण सूरत के हीरा कारोबारी मुकेश पटेल ने दान किए हैं, जिनमें 30 किलो चांदी, 300 ग्राम सोना और 1 कैरेट का हीरा लगाया गया है। इसके अलावा, हैदराबाद के भक्त श्रीनिवासन ने 14 किलो चांदी और 2.5 किलो सोने से निर्मित धनुष-बाण राम दरबार को समर्पित किए हैं।
देश-विदेश के भक्तों के लिए लाइव प्रसारण की व्यवस्था
राम मंदिर ट्रस्ट के अनुरोध पर प्रशासन ने प्राण प्रतिष्ठा का लाइव प्रसारण दूरदर्शन के माध्यम से किया। सुबह 9 बजे से शुरू हुआ यह प्रसारण अयोध्याधाम में विभिन्न स्थानों पर लगे एलईडी स्क्रीन पर भी दिखाया गया, जिससे लाखों श्रद्धालु इस ऐतिहासिक अनुष्ठान के साक्षी बन सके।
संतों, संघ व विहिप पदाधिकारियों की रही उपस्थिति
समारोह में स्थानीय साधु-संतों के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद और भाजपा से जुड़े कई प्रमुख पदाधिकारी भी शामिल हुए। जातीय मंदिरों के संतों को भी विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। सभी अतिथियों के लिए मंदिर परिसर में लंच पैकेट की व्यवस्था की गई थी।