हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:15 जुलाई 2025
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं है कोई भी व्यक्ति किसी के भी खिलाफ जो चाहे वह लिख देगा। इस मनमानी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने ये तल्ख टिप्पणी दो मामलो में की है। कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय ने कोरोना के समय में पीएम नरेंद्र मोदी और आरएसएस के कई नेताओं के आपत्तिजनक कार्टून बनाए थे। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है तो इस मामले में जस्टिस सुधांशु धुलिया और जस्टिस अरविंद कुमार ने कड़ी टिप्पणी की है। कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को से कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं है की मनमाने तरीके से किसी भी व्यक्ति या संस्था के खिलाफ जो मन में आया वह दिया जाए। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वही तक सीमित है, जहां तक किसी भी व्यक्ति या संस्था के सम्मान का हनन नहीं हो रहा हो। इसके साथ ही अदालत में आरोपी हेमंत मालवीय की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी ।
इसी तरह का दूसरा मामला वेस्ट बंगाल के वजहत खान का है। बीते दिनो वजहत खान ने हिंदू देवी देवताओं के आपत्तिज जनक चित्र बनाकर सोशल मीडिया पर डाले थे । साथ ही एक छात्रा शर्मिष्ठा पनौली के खिलाफ भी आपत्ति जनक टिप्पणियां की थी। इस मामले में जस्टिस बीवी नगरत्ना और जस्टिस के विश्वनाथ में भी तल्ख टिप्पणियां की है। उन्होंने भी कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब सांप्रदायिक विद्वेष फैलाना या किसी व्यक्ति को व्यक्तिगत निशाने पर लेना नहीं हो सकता।