हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क। चीन में हालात ऐसे बन चुके हैं कि जब किसी कंपनी में कर्मचारी सुनते हैं कि “आज बॉस नहीं आए”, तो दहशत फैल जाती है। वजह है राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भ्रष्टाचार-विरोधी प्रणाली “लिउझी” (Liuzhi), जिसके तहत अचानक कई कारोबारी, निवेशक और अधिकारी गायब हो जाते हैं। बाद में पता चलता है कि वे लिउझी हिरासत में हैं।
लिउझी चीन की नेशनल सुपरविजन कमीशन द्वारा संचालित एक विशेष हिरासत प्रणाली है, जो 2018 में शुरू हुई थी। इसे भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के नाम पर लागू किया गया, लेकिन अब यह सिर्फ सरकारी अधिकारियों तक सीमित नहीं रही। बीते कुछ वर्षों में यह अमीर व्यापारियों और बड़ी कंपनियों के प्रमुखों तक पहुंच गई है।
रिपोर्टों के अनुसार, साल 2024 में 38 हजार से अधिक लोगों को लिउझी के तहत हिरासत में लिया गया, जिनमें कई बड़े कारोबारी शामिल हैं। हालात इतने भयावह हैं कि चीन की पांच प्रमुख कंपनियों के सीईओ ने आत्महत्या कर ली।
लिउझी की प्रक्रिया बेहद कठोर है। किसी व्यक्ति को हिरासत में लेने के लिए अदालत की मंजूरी की जरूरत नहीं होती। हिरासत में लिए गए व्यक्ति को परिवार या वकील से मिलने की अनुमति नहीं होती। उन्हें एक ऐसे बंद कमरे में रखा जाता है जहां 24 घंटे रोशनी और निगरानी रहती है। यहां तक कि उनके शौचालय जाने तक पर नजर रखी जाती है।
नए नियमों के अनुसार, लिउझी किसी को भी आठ महीने तक हिरासत में रख सकती है, और यदि जांच अधूरी रह जाए तो अवधि अनिश्चित काल तक बढ़ाई जा सकती है। चीन में यह व्यवस्था अब आम नागरिकों और व्यापारिक वर्ग के बीच भय का प्रतीक बन चुकी है।













