हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:19 जुलाई 2025
18 जुलाई 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘जीनियस एक्ट’ (GENIUS Act) पर साइन करके उसे कानून का दर्जा दे दिया। व्हाइट हाउस ने इसे “ग्लोबल डिजिटल करेंसी क्रांति में अमेरिका की अगुवाई” की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है। इस एक्ट के लागू होने के बाद अमेरिका डिजिटल करेंसी, विशेषकर स्टेबलकॉइन्स, को लेकर दुनिया का पहला सशक्त और स्पष्ट रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार करने जा रहा है।
क्या है जीनियस एक्ट?
जीनियस एक्ट का पूरा नाम Global Economic Network for International Utility of Stablecoins है। यह एक्ट मुख्य रूप से स्टेबलकॉइन्स को रेगुलेट करने के लिए तैयार किया गया है। स्टेबलकॉइन्स एक तरह की क्रिप्टोकरेंसी होती हैं, जिनकी वैल्यू आमतौर पर डॉलर जैसी स्थिर करेंसी से जुड़ी होती है। अभी तक इस तरह की डिजिटल करेंसी को लेकर अमेरिका में कोई स्पष्ट कानून नहीं था, लेकिन अब जीनियस एक्ट के तहत इनके इस्तेमाल, निगरानी और संचालन को वैध और नियंत्रित किया जा सकेगा।
डिजिटल फाइनेंस में अमेरिका की बड़ी छलांग
व्हाइट हाउस के अनुसार, यह एक्ट अमेरिका को डिजिटल फाइनेंस की दुनिया में अग्रणी बना सकता है। यह न सिर्फ स्टेबलकॉइन्स को सुरक्षित और पारदर्शी बनाएगा, बल्कि देश में डिजिटल फाइनेंशियल इनोवेशन को भी बढ़ावा देगा। इसके लागू होने से वैश्विक निवेशकों और कंपनियों में विश्वास बढ़ेगा।
ट्रंप-मस्क विवाद के बीच आया यह फैसला
हाल के दिनों में डोनाल्ड ट्रंप अपने ‘बिग ब्यूटीफुल बिल’ को लेकर चर्चाओं में थे, जिससे टेस्ला के सीईओ एलन मस्क के साथ उनके रिश्तों में तल्खी आ गई थी। हालांकि, अब जीनियस एक्ट पर दस्तखत करके ट्रंप ने डिजिटल क्षेत्र में अपनी प्राथमिकताओं को स्पष्ट कर दिया है।
बिटकॉइन में तेजी
जैसे ही जीनियस एक्ट की घोषणा हुई, वैश्विक क्रिप्टो बाजार में सकारात्मक असर देखने को मिला। बिटकॉइन की कीमत में उछाल दर्ज किया गया, जिसे निवेशकों ने इस कानून के प्रभावशाली संकेत के रूप में देखा।
जीनियस एक्ट अमेरिका की डिजिटल करेंसी नीति का भविष्य तय करेगा और संभवतः वैश्विक वित्तीय परिदृश्य में भी बदलाव लाएगा।