हिन्दुस्तान मिरर न्यूज: अप्रैल: 2025: अलीगढ़,
अलीगढ़, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के आधुनिक भारतीय भाषा विभाग के मराठी अनुभाग प्रभारी डॉ. ताहिर एच. पठान ने ‘महाराष्ट्र में प्रबोधन परंपरा और मराठी साहित्य’ विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन में विशेष व्याख्यान दिया। यह सम्मेलन पुणे के श्री शाहू मंदिर महाविद्यालय द्वारा आयोजित किया गया था और इसका आयोजन अखिल भारतीय मराठा शिक्षण परिषद ने किया।
अपने ऑनलाइन व्याख्यान में डॉ. पठान ने मराठी साहित्य की प्रबोधन परंपरा का विश्लेषण करते हुए भक्ति आंदोलन की स्थायी विरासत को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि संतों ने अपने साहित्य के माध्यम से समाज में चेतना फैलाने का कार्य किया। उनकी साहित्यिक रचनाएं केवल धार्मिक भावना तक सीमित न होकर सामाजिक सुधार, नैतिक मूल्य और आत्ममंथन से भी जुड़ी थीं।
डॉ. पठान ने कहा कि संतों का साहित्य लोक कथाओं, श्रद्धा, अंधविश्वास, देवी-देवताओं, गीतों और अनुष्ठानों जैसे सांस्कृतिक तत्वों से समृद्ध था। उन्होंने बताया कि यह साहित्य सामाजिक पाखंड की आलोचना करता है और गृहस्थ जीवन व संत संगति के महत्त्व को भी उजागर करता है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि संतों की अभिव्यक्ति – चाहे वह कीर्तन हो, प्रवचन हो या अभंग – किसी पर थोपी नहीं जाती थी, बल्कि वह आत्मिक शांति, सामाजिक सौहार्द और करुणा को बढ़ावा देती थी। डॉ. पठान के व्याख्यान को सम्मेलन में विद्वानों ने अत्यंत सराहनीय बताया।