हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑ बुधवार 28 मई 2025 अलीगढ़
अलीगढ़, 28 मई 2025 उप जिलाधिकारी अतरौली मोहम्मद अमान ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर तहसील अतरौली क्षेत्र के ग्रामों में स्थित 74 तालाबों के मत्स्य पालन हेतु आगामी 10 वर्षों के लिए पट्टा आवंटन प्रक्रिया प्रारंभ किए जाने की जानकारी दी है। इसके लिए पहला पट्टा शिविर 11 जून 2025 को आयोजित किया जाएगा। इसके बाद लक्ष्य पूर्ति तक हर माह के पहले बुधवार को प्रातः 11 बजे से यह शिविर तहसील अतरौली के सभाकक्ष में आयोजित होगा। शिविर की अध्यक्षता तहसीलदार अतरौली करेंगे।
पट्टा शुल्क एवं शर्तें:
- सामान्य तालाबों का पट्टा ₹2500 से ₹5000 प्रति हेक्टेयर की दर से आवंटित किया जाएगा।
- जिन तालाबों का क्षेत्रफल 2 हेक्टेयर से अधिक होगा, उन्हें पंजीकृत मत्स्य जीवि सहकारी समितियों को ₹10,000 प्रति हेक्टेयर की दर से आवंटित किया जाएगा।
तहसील अतरौली के अंतर्गत आने वाले निम्नलिखित ग्रामों के कुल 74 तालाब इस योजना में शामिल किए गए हैं:
लोहगढ़, खुलावली (हबीबपुर), दादों, भवीगढ़, सलारपुर, पैडारा, मौहम्मदपुर बढ़ैरा, बैमवीरपुर, मनैना उम्मेदपुर, हसनपुर, खानपुर खिटौली, छौगवां, सिरसा, तरैंची, सिंहपुर हिम्मतपुर, चन्दौआ गोवर्धनपुर, बीसनपुर वाहनपुर, लहास्की, अभय बहलोलपुर, नाह, बजीतपुर, समैना ततारपुर, दरी अलावलपुर, जामुना, शाहजहांबाद, हरदोई, नगला निजाम, नौगवां, कासिमपुर खुशीपुर, भमोरी बुजुर्ग, रहमापुर, रजातऊ सेऊपुर, नरूपुरा कटका, राजमऊ, बिजौली, मदापुर, पिपलोई, ऊतरा, आलमपुर रानी, रहमापुर, भमसोई हुसैनपुर, सिंधौली खुर्द, मौहकमपुर दादों, हुसैनपुर शहजादपुर, औधाखेड़ा, भमोरी खुर्द, शाहपुर कोटरा, निसारपुर, पालीमुकीमपुर, दत्ताचोली, अटा, हारूनपुर, गाजीपुर और किरतौली।
आवेदन प्रक्रिया:
- इच्छुक एवं पात्र व्यक्ति को खसरा, खतौनी, जाति प्रमाण पत्र एवं आय प्रमाण पत्र के साथ निर्धारित शिविर तिथि (11 जून 2025) को उपस्थित होना होगा।
- इसके अतिरिक्त जो आवेदक 11 जून को उपस्थित नहीं हो पाते, वे लक्ष्य पूर्ति तक प्रत्येक माह के पहले बुधवार को प्रातः 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक तहसील कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं।
- दोपहर 2 बजे के बाद कोई आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा।
महत्वपूर्ण निर्देश:
- केवल पात्र आवेदकों को ही पट्टा आवंटन में प्राथमिकता दी जाएगी।
- सभी दस्तावेजों की प्रमाणिकता की जाँच की जाएगी।
- आवेदनकर्ता को समय से शिविर में उपस्थित होकर निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य होगा।
यह योजना स्थानीय मत्स्य पालकों के लिए आजीविका का सशक्त माध्यम बन सकती है तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेगी। प्रशासन द्वारा पारदर्शी तरीके से पट्टा आवंटन सुनिश्चित किया जाएगा।