हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑ 21 मई : 2025
नई दिल्ली, 22 मई 2025 – इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) के आम्बेडकर सभागार में बुधवार को “एक राष्ट्र, एक चुनाव” विषय पर एक विशेष सत्र का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कृषि, किसान कल्याण एवं ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री, भारत सरकार श्री शिवराज सिंह चौहान थे। सत्र की अध्यक्षता इग्नू की कुलपति प्रोफेसर उमा काजीलाल ने की, वहीं विशिष्ट अतिथियों में राष्ट्रीय महामंत्री भाजपा श्री सुनील बंसल तथा रजिस्ट्रार श्री आलोक चौबे शामिल रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसे श्री शिवराज सिंह चौहान, कुलपति प्रो. उमा काजीलाल, श्री सुनील बंसल और श्री आलोक चौबे ने संयुक्त रूप से किया। इग्नू में सहायक आचार्य बूटा सिंह ने हमारे संवाददाता को बाताया कि माननीय केंद्रीय मंत्री ने IGNOU को ‘राष्ट्रीय गौरव’ से अभिहित किया।

श्री शिवराज सिंह चौहान का संबोधन
अपने मुख्य भाषण में केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने “एक राष्ट्र, एक चुनाव” की अवधारणा को भारतीय लोकतंत्र की मजबूती और शासन प्रणाली की दक्षता से जोड़ा। उन्होंने कहा:
“यह केवल एक चुनावी व्यवस्था नहीं, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक और विकासात्मक यात्रा को नई दिशा देने वाला कदम है। इससे नीति-निर्माण में स्थायित्व आएगा, संसाधनों की बचत होगी और प्रशासनिक कार्यों में गति आएगी।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि बार-बार चुनाव कराने से शासन प्रणाली पर अत्यधिक दबाव पड़ता है और विकास की रफ्तार धीमी हो जाती है। उन्होंने मध्यप्रदेश का उदाहरण देते हुए बताया कि सितंबर 2023 से जून 2024 तक विधानसभा और लोकसभा चुनावों के चलते कोई बड़ा प्रशासनिक निर्णय नहीं लिया जा सका।
चुनाव लागत पर चिंता व्यक्त की
श्री चौहान ने आंकड़ों के माध्यम से बताया कि:
“1952 में आम चुनावों की लागत ₹9,000 करोड़ थी, जबकि 2024 में यह आंकड़ा ₹1 लाख करोड़ से अधिक हो गया है। यदि राज्य चुनावों को जोड़ दिया जाए तो यह खर्च ₹4 लाख करोड़ से ₹7 लाख करोड़ तक पहुँच सकता है।”
उन्होंने कहा कि इतने भारी व्यय से संसाधनों पर दबाव पड़ता है, जिससे अन्य जरूरी क्षेत्रों में निवेश प्रभावित होता है।
संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि “एक राष्ट्र, एक चुनाव” की अवधारणा को साकार करने के लिए संविधान में एक बार का संशोधन आवश्यक होगा, जिससे लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकें। उन्होंने बताया कि 1952, 1957, 1962 और 1967 में देश में संयुक्त चुनाव कराए गए थे, परंतु राजनीतिक अस्थिरता के चलते यह परंपरा टूट गई।
राष्ट्रीय हित सर्वोपरि
श्री चौहान ने कहा कि:
“हमारी पार्टी पूरे वर्ष चुनाव लड़ने में सक्षम है, लेकिन राष्ट्रीय हित हम सभी के लिए सर्वोपरि होना चाहिए। यह पहल किसी दल विशेष के लाभ के लिए नहीं, बल्कि शासन की गुणवत्ता सुधारने और लोकतंत्र को अधिक सशक्त बनाने के उद्देश्य से है।”
छात्रों और शिक्षकों से अपील
अपने भाषण के अंत में श्री चौहान ने उपस्थित छात्रों और शिक्षकों से अपील की कि वे इस विचारधारा को समाज में फैलाएं और “विकसित भारत” के निर्माण में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएं।

कार्यक्रम में भागीदारी
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षकगण, छात्र-छात्राएँ, प्रशासनिक अधिकारी तथा विशिष्ट जन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का आयोजन अत्यंत सफल व सारगर्भित रहा, जिसने लोकतंत्र के भविष्य पर महत्वपूर्ण विमर्श को जन्म दिया।