हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑ सोमवार 2 जून 2025
झांसी। उत्तर प्रदेश के झांसी से एक बेहद शर्मनाक और मानवता को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज की मोर्चरी में 18 दिनों तक एक लावारिस शव यूं ही सड़ता रहा और जब उससे उठने वाली भीषण बदबू बर्दाश्त से बाहर हो गई, तब जाकर प्रशासन की नींद टूटी।
मामला यह है कि करीब 18 दिन पहले मेडिकल कॉलेज में 40-42 साल के एक अज्ञात युवक का शव बरामद हुआ था। पुलिस ने औपचारिकता निभाते हुए पंचनामा भरवाया और शव को मोर्चरी में रखवा दिया। नियमानुसार, 72 घंटे बाद पोस्टमार्टम कर अंतिम संस्कार कराया जाना चाहिए था, लेकिन पुलिसकर्मी अंतिम संस्कार कराना भूल गए और शव दोबारा मोर्चरी में भिजवा दिया गया।
बदबू से मची अफरा-तफरी, कोई साथ जाने को तैयार नहीं
शनिवार को जब शव से उठ रही बदबू ने मोर्चरी परिसर में खलबली मचाई, तब जाकर प्रशासन सक्रिय हुआ। आनन-फानन में शव को अंतिम संस्कार के लिए भेजने की तैयारी की गई, लेकिन बदबू इतनी भयानक थी कि कोई भी पुलिसकर्मी या कर्मचारी उसके साथ जाने को तैयार नहीं हुआ।
एंबुलेंस चालक ने निभाई इंसानियत, पीठ पर लादकर पहुंचाया मुक्तिधाम
हालात ऐसे बन गए कि एंबुलेंस चालक को ही मजबूरी में शव को अकेले ही अंतिम संस्कार के लिए ले जाना पड़ा। मुक्तिधाम तक जाने का रास्ता खराब होने के कारण उसने शव को करीब 200 मीटर तक अपनी पीठ पर लादकर बड़ागांव गेट के बाहर स्थित श्मशान पहुंचाया और वहां विधिवत अंतिम संस्कार किया। सोमवार को इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे प्रशासनिक लापरवाही उजागर हुई।
अभी तक शव की नहीं हो सकी शिनाख्त
18 दिन तक सड़ते रहे शव की अब तक पहचान नहीं हो सकी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि समय रहते अंतिम संस्कार कर दिया गया होता, तो यह शर्मनाक स्थिति सामने नहीं आती।
जांच के आदेश, लेकिन जवाबदेही पर सवाल
इस पूरे मामले में एसपी सिटी ज्ञानेंद्र सिंह का कहना है कि लापरवाही की जांच के आदेश दे दिए गए हैं और संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया जा रहा है। हालांकि, सवाल यह उठता है कि 18 दिनों तक किसी की नजर इस लावारिस शव पर क्यों नहीं पड़ी और इतनी बड़ी चूक के लिए जिम्मेदार कौन है?