हिन्दुस्तान मिरर न्यूज: रविवार 29 जून 2025
अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आध्यात्मिकता और आधुनिक तकनीक के अभूतपूर्व संगम का प्रतीक बनता जा रहा है। यह दुनिया का पहला ऐसा मंदिर बन गया है, जिसमें संरचनात्मक मजबूती के लिए टाइटेनियम जैसी उच्च तकनीकी धातु का उपयोग किया गया है।
रामलला के भव्य मंदिर में अब कुल 32 टाइटेनियम जालियां लगाई जा रही हैं। शनिवार को एक जाली को प्रयोग के तौर पर स्थापित किया गया, जिसे मंदिर ट्रस्ट की ओर से हरी झंडी मिल चुकी है।
राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि भारत सरकार की एक संस्था द्वारा निर्मित इन टाइटेनियम जालियों की आयु 1,000 वर्षों से अधिक है। भूतल, प्रथम और द्वितीय तल पर ये जालियां लगाई जाएंगी और 15 अगस्त तक यह कार्य पूरा हो जाएगा।
निर्माण कार्य अंतिम चरण में
नृपेंद्र मिश्र ने जानकारी दी कि मंदिर के प्लिंथ और परकोटे पर 14 लाख क्यूबिक फीट वंशी पहाड़पुर पत्थर लगना था, जिसमें से अब सिर्फ एक लाख क्यूबिक फीट का कार्य शेष है।
उन्होंने यह भी बताया कि अस्थायी राम मंदिर के ही स्वरूप में सागौन की लकड़ी से एक नया मंदिर भी तैयार किया जा रहा है, जिसे एक विशेष शीशे के कवर से ढका जाएगा ताकि हर मौसम में संरक्षण मिल सके।
शनिवार को हुए निरीक्षण के दौरान चंपत राय (महासचिव), डॉ. अनिल मिश्र (ट्रस्टी), गोपाल राव (निर्माण प्रभारी) और आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा भी मौजूद रहे।
500 फीट तक उकेरी जा चुकी है श्रीराम कथा
राम मंदिर के लोअर प्लिंथ पर 800 फीट की लंबाई में रामकथा उकेरी जा रही है, जिसमें से अब तक 500 फीट पर म्यूरल कार्य पूर्ण हो चुका है। यह कथा राम जन्म से राज्याभिषेक तक की घटनाओं को जीवंत रूप में प्रस्तुत कर रही है।
इसी तरह परकोटे की दीवारों पर कुल 80 कांस्य म्यूरल लगाए जाने हैं, जिनमें से 45 म्यूरल पहले ही लग चुके हैं। ये म्यूरल्स अयोध्या के इतिहास और श्रीराम के आदर्शों को दर्शाते हैं।
आस्था और इंजीनियरिंग का अनुपम संगम
टाइटेनियम जैसे अत्याधुनिक धातु का प्रयोग और सदियों पुरानी सनातन परंपराओं की जीवंत प्रस्तुति, श्रीराम जन्मभूमि मंदिर को विश्व स्तर पर एक अद्वितीय धरोहर बना रही है।