हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
लखनऊ, 27 जुलाई — उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) द्वारा आयोजित समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी (RO/ARO) परीक्षा रविवार को पूरे प्रदेश में शांतिपूर्वक, नकलमुक्त और पारदर्शी तरीके से संपन्न हुई। परीक्षा की सफलता के पीछे योगी सरकार और आयोग द्वारा किए गए अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम रहे, जिसने राज्य की परीक्षा प्रणाली में एक नया मापदंड स्थापित किया।
यह परीक्षा एक ही पाली में सुबह 9:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक संपन्न हुई और इसे प्रदेश के सभी 75 जिलों में 2382 परीक्षा केंद्रों पर आयोजित किया गया था। कुल 10,76,004 अभ्यर्थियों में से 4,54,997 (42.29%) ने इसमें भाग लिया।
AI, CCTV और बायोमेट्रिक सत्यापन से परीक्षा पूरी तरह नकलमुक्त
परीक्षा में किसी भी प्रकार की नकल या अनियमितता को रोकने के लिए आयोग ने इस बार एआई आधारित निगरानी प्रणाली, सीसीटीवी लाइव स्ट्रीमिंग, बायोमेट्रिक सत्यापन, और फेस रिकग्निशन तकनीक का उपयोग किया। सभी अभ्यर्थियों का प्रवेश बायोमेट्रिक स्कैनिंग और फेस रिकग्निशन के माध्यम से हुआ।
परीक्षा केंद्रों पर डबल लेयर फ्रिस्किंग की गई, जिससे कोई निषिद्ध सामग्री या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण अंदर न ले जाया जा सके। एआई अलर्ट सिस्टम के जरिए संदिग्ध गतिविधियों पर तुरंत प्रतिक्रिया दी गई।
नकल माफिया पर पैनी नजर, पूर्व आरोपियों की गतिविधियों पर सख्त निगरानी
योगी सरकार ने नकल माफिया पर इस बार विशेष ध्यान दिया। एसटीएफ (विशेष कार्य बल) को सक्रिय किया गया, जिसने पूर्व में परीक्षा अपराधों में संलिप्त रहे लोगों पर नजर रखी। संदिग्ध कोचिंग संस्थानों और केंद्रों पर विशेष निगरानी टीमें तैनात रहीं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे व्हाट्सएप, टेलीग्राम आदि पर लीक या अफवाह फैलाने वालों पर नजर रखने के लिए डेडिकेटेड मॉनिटरिंग सेल स्थापित किया गया। इस बार किसी भी तरह की अनियमितता की कोई पुष्टि नहीं हुई, जिससे साफ है कि परीक्षा व्यवस्था पूरी तरह से नकलमुक्त और पारदर्शी रही।
प्रश्नपत्रों की सुरक्षा: रैंडमाइजेशन से चयन और बारकोडिंग से निगरानी
परीक्षा की गोपनीयता को ध्यान में रखते हुए प्रश्नपत्र दो अलग-अलग मुद्रकों से तैयार किए गए थे। परीक्षा शुरू होने से 45 मिनट पहले कंप्यूटर रैंडमाइजेशन के जरिए प्रश्नपत्र का चयन किया गया।
प्रत्येक पेपर को जंबल्ड सीरीज और यूनिक बारकोड के साथ पैक किया गया। यह पैकिंग पांच स्तरीय टेम्पर्ड प्रूफ सीलिंग और त्रिस्तरीय गोपनीय ट्रंक बॉक्स में की गई थी।
प्रश्नपत्र की निकासी से लेकर उत्तर पुस्तिकाओं के संग्रह तक की हर प्रक्रिया पर सीसीटीवी और सशस्त्र पुलिस बल की निगरानी रही। आयोग और जिलों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी सतत निगरानी की।
डिजिटल पहचान और ओटीआर से सुरक्षित प्रवेश प्रक्रिया
अभ्यर्थियों का केंद्र आवंटन कंप्यूटर रैंडमाइजेशन से किया गया था। ई-प्रवेश पत्रों को वन टाइम रजिस्ट्रेशन (OTR) प्रणाली से जोड़ा गया, जिसमें नाम, पिता का नाम, जन्म तिथि, श्रेणी, हाईस्कूल वर्ष और रोल नंबर जैसे सूचनाओं का मिलान किया गया।
प्रवेश के समय बायोमेट्रिक सत्यापन और फेस रिकग्निशन की मदद से हर परीक्षार्थी की पहचान सुनिश्चित की गई। इससे डमी कैंडिडेट या गलत पहचान के जरिए परीक्षा देने की कोई संभावना शून्य हो गई।
बहुस्तरीय निगरानी और मजिस्ट्रेट की नियुक्ति से बनी प्रभावी व्यवस्था
प्रत्येक केंद्र पर पुलिस बल, सेक्टर मजिस्ट्रेट, स्टैटिक मजिस्ट्रेट, केंद्र व्यवस्थापक, और प्रशिक्षित पर्यवेक्षक तैनात रहे। सभी पर्यवेक्षकों की नियुक्ति भी रैंडमाइजेशन से की गई थी, ताकि निष्पक्षता बनी रहे।
इसके अतिरिक्त, हर जिले में पुलिस आयुक्त, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, या पुलिस अधीक्षक स्तर के नोडल अधिकारी की सीधी निगरानी रही। आयोग और एसटीएफ के बीच समन्वय के लिए भी एक वरिष्ठ अधिकारी नामित किया गया था।
अगर कोई परीक्षार्थी अनुचित साधनों का प्रयोग करता हुआ पाया जाता, तो उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता और उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) अधिनियम, 2024 के तहत सख्त कार्रवाई की व्यवस्था की गई थी।
जिलावार उपस्थिति: अयोध्या सबसे आगे, रामपुर सबसे पीछे
अधिकारियों ने बताया कि इस बार परीक्षा में अयोध्या में सर्वाधिक 52.81% उपस्थिति रही, जबकि रामपुर में सबसे कम 25.78% अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए।
अन्य प्रमुख जिलों में प्रयागराज में 47.61%, लखनऊ में 48.89%, कानपुर में 44.37% और वाराणसी में 49.19% उपस्थिति दर्ज की गई।
अभ्यर्थियों ने की सराहना, कहा – निष्पक्ष और तकनीकी दृष्टि से उन्नत परीक्षा
परीक्षा देने के बाद कई अभ्यर्थियों ने सरकार और आयोग के प्रयासों की सराहना की। प्रयागराज केंद्र से परीक्षा देकर लौटे वाराणसी निवासी नीरज चंद्रा और सचिन माथुर ने बताया कि परीक्षा में व्यवस्था अत्यंत अनुशासित और निष्पक्ष रही।
प्रतापगढ़ से आई अभ्यर्थी पूजा ने कहा कि पिछली बार की तुलना में इस बार की व्यवस्था कहीं बेहतर और तकनीकी रूप से आधुनिक रही।
क्यूआर कोड, आई स्कैन, बायोमेट्रिक, और फेस रिकग्निशन जैसी तकनीकों ने परीक्षा में पारदर्शिता को नया आयाम दिया।
परीक्षा प्रणाली में सुधार की दिशा में मील का पत्थर
यह परीक्षा योगी सरकार की उस सोच का प्रमाण है, जिसमें योग्यता आधारित, पारदर्शी और नकलमुक्त भर्ती व्यवस्था की नींव रखी जा रही है।
UPPSC के सचिव अशोक कुमार ने बताया कि सभी केंद्रों से उत्तर पुस्तिकाएं सुरक्षित एकत्र कर ली गई हैं और मूल्यांकन प्रक्रिया शीघ्र प्रारंभ होगी।
इस ऐतिहासिक परीक्षा आयोजन ने न केवल नकलमाफिया की कमर तोड़ी, बल्कि लाखों अभ्यर्थियों में विश्वास भी जगाया कि अब उत्तर प्रदेश में योग्यता ही सफलता की कुंजी होगी।