केंद्रीय विश्वविद्यालयों में आरक्षित वर्गों की नियुक्तियों पर कांग्रेस का केंद्र सरकार पर बड़ा हमला
नई दिल्ली, 27 जुलाई 2025:
कांग्रेस पार्टी ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षित संकाय पदों पर भारी संख्या में खाली पड़े पदों को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस महासचिव एवं संचार प्रभारी जयराम रमेश ने संसद में शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार द्वारा पिछले सप्ताह राज्यसभा में दिए गए एक लिखित उत्तर का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि केंद्र सरकार आरक्षित वर्गों के खिलाफ ‘उपयुक्त नहीं पाए जाने’ (Not Found Suitable – NFS) जैसे प्रावधानों का हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है।
रमेश ने कहा कि मोदी सरकार ने यह स्वीकार किया है कि प्रोफेसर स्तर पर OBC वर्ग के लिए 80%, ST के लिए 83% और SC के लिए 64% पद खाली हैं। जबकि सामान्य वर्ग में यह रिक्तता केवल 39% है। इसी तरह, एसोसिएट प्रोफेसर के स्तर पर OBC के लिए 69%, ST के लिए 65% और SC के लिए 51% पद रिक्त हैं, जबकि सामान्य वर्ग के लिए केवल 16% पद खाली हैं। सहायक प्रोफेसर के स्तर पर भी आरक्षित वर्गों की स्थिति चिंताजनक है—OBC के लिए 23%, ST के लिए 15% और SC के लिए 14% पद खाली हैं, जबकि सामान्य वर्ग में यह आंकड़ा सिर्फ 8% है।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि यह डेटा स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि आरक्षित वर्गों के खिलाफ ‘NFS’ का ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है और उन्हें जानबूझकर योग्य नहीं ठहराकर बाहर किया जा रहा है। रमेश ने कहा, “सरकार कहती है कि वह केंद्रीय रूप से ‘उपयुक्त नहीं पाए जाने’ की जानकारी नहीं रखती, पर आंकड़े खुद सच बयान कर रहे हैं।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि राहुल गांधी पहले ही इस मुद्दे को सार्वजनिक मंचों पर उठा चुके हैं और यह बताया है कि किस तरह SC, ST और OBC वर्गों को संवैधानिक आरक्षण से वंचित किया जा रहा है। कांग्रेस का दावा है कि सरकार का यह रवैया सामाजिक न्याय और समान अवसर के सिद्धांतों के खिलाफ है।
सरकार का जवाब:
राज्यसभा में 23 जुलाई को शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने बताया कि प्रोफेसर के 308 SC आरक्षित पदों में से 111, ST के 144 में से 24, और OBC के 423 में से 84 ही भरे जा सके हैं।
एसोसिएट प्रोफेसर के SC के 632 पदों में से 308, ST के 307 में से 108, और OBC के 883 में से 275 पद ही भरे गए हैं।
सहायक प्रोफेसर स्तर पर स्थिति तुलनात्मक रूप से बेहतर है: SC के 1,370 में से 1,180, ST के 704 में से 595 और OBC के 2,382 में से 1,838 पद भरे जा चुके हैं।
कुल मिलाकर, कांग्रेस का आरोप है कि यह असंतुलन केवल संयोग नहीं बल्कि एक सोची-समझी नीति का परिणाम है, जो सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों को शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में पीछे धकेल रहा है।