लखनऊ, हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने को लेकर विवाद थम नहीं रहा है। विद्युत अधिनियम-2003 की धारा 47(5) के अनुसार उपभोक्ताओं को पोस्टपेड या प्रीपेड मीटर चुनने का अधिकार प्राप्त है। हालांकि केंद्र सरकार ने 2020 में जारी नियमों में सभी घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का प्रावधान किया था, लेकिन हाल में 9 अक्तूबर को जारी ड्राफ्ट इलेक्ट्रिसिटी (संशोधन) बिल 2025 में भी इस विकल्प को समाप्त नहीं किया गया है।
कई राज्यों—कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और गुजरात—में इसकी अनिवार्यता के खिलाफ जनहित याचिकाएं उच्च न्यायालयों में लंबित हैं। उत्तर प्रदेश में भी उपभोक्ताओं और उपभोक्ता परिषद ने विरोध दर्ज कराया है। विद्युत नियामक आयोग ने पावर कॉरपोरेशन को नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि बिना दर मंजूरी के उपभोक्ताओं से नए कनेक्शन पर 6016 रुपये कैसे वसूले जा रहे हैं।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवचेश कुमार वर्मा ने कहा है कि केंद्र द्वारा जारी कोई भी “रूल” कानून से ऊपर नहीं हो सकता। विद्युत अधिनियम-2003 में उपभोक्ताओं को जो अधिकार मिले हैं, वे सर्वोपरि हैं। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में लगभग 40 लाख से अधिक उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा चुके हैं, जबकि कुल उपभोक्ताओं की संख्या करीब साढ़े तीन करोड़ है। आयोग अब इस मामले पर कानूनी रूप से निर्णय लेने की तैयारी में है।















